प्रबंध प्रभाकर | Prabandha Prabhaakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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९२९ प्रचन्ध-प्रभाकर लेख तैयार किया जा सकता है । जहाँ तक सम्भव हुआ है सम्बद्ध विषय एक साथ रखे गये ই | विद्यार्थियों के लाभ के लिए इस संस्करण में कुछ लेख ओर बढ़ा दिये गये हैं । विद्यार्थियों के अध्ययन के लिए, हिन्दी में पर्याप्त साहित्य है । भरे घर का चोर क्या उठाये ओर क्या छोड़े । फिर भी डाक्टर श्यामसुन्दरदास का हिन्दी भाषा ओर साहित्य तथा साहित्यालोचन, पं० रामचन्द्र शुक्ल का हिन्दी साहित्य का इतिहास, चिन्तामणि तथा तुलसीदास, प्रो” सूयकान्त शास्त्री की साहित्य-मीमांसा तथा हिन्दी साहित्य का विवेचनात्मक इतिहास, मिश्रबंघुओ्रों का हिन्दी नवरत्न, प्रोफेसर रामकुमार वर्मा का हिन्दी साहित्य का आलोचनाव्मक इतिहास ओर साहित्य-समालोचना, पं० पद्मसिंह शर्मा लिखित बिहारी सतसई की भूमिका ओर प्म-पराग पं० कृष्णनिहारी मिश्र का देव श्रौर बिहारी रसालः का साहित्य परिचय, बख्शी जी का हिन्दी साहित्य विमश ओर साहित्य शिक्षा, श्रीमती महादेदी वर्मा का विवेचनात्मक गद्य, ग्राचाय द्विवेदी जी का रसज्ञ- रंजन, पंडित नन्ददुलारे वाजपेयी का आधुनिक हिन्दी साहित्य, श्रीं नगेन्द्रजी का साकेत का एक अध्ययन ओर सुमित्रानन्दन पन्‍न्त, प्रोफेसर सत्येन्द्र की साहित्य की भाँकी ओर गुक्तजी की कला, धीरेन्द्र वर्मा का हिन्दी भाषा का इतिहास, हिन्दी भाषा ओर लिपि तथा विचारधारा, कृष्णशंकर शुक्ल का आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास, पं० जयचन्द्र विद्यालंकार की भारतीय इतिहास की रूपरेखा, भारतभूमि ओर उसके निवासी, भारतीय वाड मय के अमर रत्न तथा इतिह्यस प्रवेश आदि, डा० सुनीतिकुमार चटर्जों की भारत को भाषाएँ ओर भाषा संबंधी समस्याएँ, लेखक के नवरस, हिन्दी नास्य विमश, सिद्धान्त ओर अध्ययन, काव्य के रूप इत्यादि ग्रन्थ विद्यार्थियों का साहित्यक ज्ञान परिपक्व करने में बडे सहायक होंगे । वैज्ञानिक विषयों पर निबन्ध लिखने मे श्री रामदास गोड का विज्ञान हस्तामलक तथा लेखक की व्िज्ञानवातां पूना उपयोगी होगा । इन ग्रन्यों के अध्ययन से उच्चक्रोटि के नित्रन्ध लिखने में बहुत- कुलं सहायता मिलेगी । लेखक ने भी इन अन्धां में से बहुत से ग्रन्थों से लाभ उठाया है । उनके सुयोग्य लेखकों के प्रति कृतज्ञता प्रकाशित करता हुश्रा लेखक




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