स्वतंत्रता परवर्ती हिंदी विज्ञान लेखन (1950-1970) | Swatantrata Perverti Hindi Vigyan Lekhan (1950-1970)

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Swatantrata Perverti Hindi Vigyan Lekhan (1950-1970) by डॉ विष्णुदत्त शर्मा - Dr. Vishnudatt Sharmaडॉ शिवगोपाल मिश्र - Dr. Shiv Gopal Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गोदामों और छोटे-छोटे पौधों के कीड़ों से बचाने के लिए जहां दवाइयां छिड़कना संभव नहीं होता, धूम प्रयुक्त होते हैं। प्लेग की बीमारी रोकने के लिए चूहों के मारने में भी धूम का ही प्रयोग होता है। यह काम ऐसे बंद स्थान में होता है जिसकी सब खिड़कियां और रोशनदान बंद हों। यहां धूम के चुनने में सावधानी की आवश्यकता है। धूम ऐसा होना चाहिए कि जिसका आस-पास के पदार्थों पर कोई बुरा असर न पड़े। स्थान का जितना क्षेत्र हो उसी के अनुपात में धूम की मात्रा होनी चाहिए। इस काम के लिए ऐसा आदमी होना चाहिए जो उस काम से पूरा परिचित हो और उससे वहां के लोगों और पदार्थों पर जो बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना हो उसके निराकरण के उपाय से पूरा परिचित हो। धूम देने के समय किसी को स्थान पर नहीं रहना चाहिए। इस काम के तिए जो धूम प्रयुक्त होते हँ उनमें सल्फर डायक्साइड, निकोटिन, हाइड्रोस्यानिक अम्ल, कार्बन डाय-सल्फाइड, पाराडाइक्लोरोबेंजीन, एथिलीन आक्साइड, क्लोरोपिक्रीन, कार्बन टेद्राक्लोराइड ओर एथिलीन क्लोराइड हे । इनमें अधिकांश लवण जन्य त्वौ के संयोग है जिनके प्रस्तुत करने के लिए बनारस हिंदू युनिवर्सिटी के रसायन-शाला मेँ अनेक वर्षो से विशेष रूप से प्रयोग ओर अनुसंधान हो रहे है । धूमो में हाइड्रोस्यानिक अम्ल और एथिली आक्रमण कीड़ों के विनाश में अधिक प्रभावशाली है। नीबू और संतरों के पेड़ों के लिए हाइड्रोजन अम्ल अधिकता से प्रयुक्त होता है। हरित बागों और घरों में विशेषकर चूहों के मारने में भी इसका उपयोग होता है। थोड़ी मात्रा में इसे सोडियम सायनाइड पर गंधकाम्ल की क्रिया से प्राप्त करते हैं। बड़ी मात्रा में तरल रूप में नतों में बाजारों में बिकता है। एथिलीन आक्साइड शीघ्र उबलने वाला तरल है जो अधिक वाष्पशीलता के कारण सरलता से उपयुक्त होनेवाला पदार्थं है। कार्बन डाईऑक्साइड के साथ मिला हज कार्वोक्साइड' के नाम से यह बिकता है । यह जलता नहीं है, विस्फोटक भी नहीं है और अनाज के स्वाद पर इसकी कोई हानिकर्‌ किया भी नहीं होता है। उदर-विष ऐसे पदार्थ हैं जो कीड़ों के खाद्य को विषैला कर देते हैं। वे ऐसे पदार्थो के साथ मिल कर प्रयुक्त होते हैं जो साधारण खाद्य की अपेक्षा आकर्षक और स्वादवाले हैं। कीड़ों के खाद्य में मिलाकर इन्हें इतनी मात्रा में रख देते हैं कि ये कीड़े खाद्य के साथ खा जाएं और उनकी मृत्यु हो जाए। उदर-विष पर्याप्त विषैला होना चाहिए ताकि कीड़े शीघ्र मर जाएं। उसका मूल्य भी अधिक न होना चाहिए। यह बड़ी मात्रा में प्राप्त होने वाला और पर्याप्त स्थायी रसायनिक-द्रव्य कृमिनाशक / 3




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