विज्ञान - (मार्च - 2002) | Vigyan -( Mar-2002)

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : विज्ञान - (मार्च - 2002) - Vigyan -( Mar-2002)

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about विभिन्न लेखक - Various Authors

Add Infomation AboutVarious Authors

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
साइक्लोस से निकला जिसका अर्थ होता है साँप की कुण्डली| चक्रवात में साँप की कुण्डली के अनुसार हवाएं घूमती हैं। चक्रवात विश्व के विभिन्‍न देशों में अलग अलग नामों से जाना जाता है यथा अटलांटिक महासागर में 'हरीकेन', प्रशान्त महासागर में 'टाइफन' दक्षिणी प्रशान्त महासागर में 'विल्ली-गिल्ली' तथा हिन्द महासागर मेँ 'साइक्लोन' (चक्रवात) | जो चक्रवात उष्ण देशीय क्षेत्रों में निर्मित होते हैं उन्हें उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (ट्रॉपिकल साइक्लोन) कहते हैं तथा अन्य क्षेत्रों मे बनने वाले चक्रवात को अतिरिक्त उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (एक्स्ट्रा ट्रॉपिकल साइक्लोन) कहते हैं। साधारण शब्दों में चक्रवात घुमावदार कम दबाव का त्र हे जिसके केन्द्र मे 5-6 हेक्टा पासकल (मिलीबार) तक वायु दाब में गिरावट हो जाती है तथा चारों तरफ हवा की गति अंततः 34 नॉटिकल मील अथवा 62 किमी0 प्रतिघंटा हो जाती है। निम्न दबाव क्षेत्र से उत्पन्न होने वाली विभिन्‍न मौसम प्रणालियों से संबंधित उच्चतम हवा की गति के आधार पर प्रणालियों को निम्नानुसार वर्गीकृत किया गया है : क्म ददः दी गदि श्रेणि (नाट्किल मील/घंद) 1. 17 से कम निम्न दबाव का क्षेत्र 2. 117 জী 27 अवदाब (डिप्रेशन) 3. 28 से 33 गहरा अवदाब (डिप्रेशन) 4. 34 से 47 चक्रवात 5. 48 से 63 भीषण चक्रवात 6. 64 से 119 अति भीषण चक्रवात 7. 120 एवं उससे महाचक्रवात अधिक (सुपर साइक्लोन) 1 नौटीकल मील- 1.85 किमी) उपर्युक्त वर्गीकरण भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा बंगाल की खाड़ी तथा अरब सागर में बनने वाले. विभिन्‍न तीव्रता वाले निम्न दबाव के क्षेत्रों के लिए अपनाया जाता है तथा विश्व मौसम संगठन द्वारा मान्य हे। च्क्रचात की बारम्बास्ता प्रतिवर्ष विश्व में लगभग़ 80 चक्रवात बनते हैं जबकि बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर में चक्रवात की वार्षिक संख्या 4 से 6 है जिसमें 2 या 3 भीषण चक्रवात की स्थिति तक पहुँच जाते हैं। साधारणतः चक्रवात वर्षा ऋतु (दक्षिण पश्चिम मानसून) के पूर्व (मार्च-अप्रैल-मई) तक पश्चात्‌ (अक्टूबर-नवम्बर- दिसम्बर) माह में बनते हैं| वर्षा ऋतु में निम्न दबाव के क्षेत्र अवदाब तथा गहरे अवदाब की स्थिति तक पहुँच जाते हैं। सन्‌ 1949 से 1999 के दौरान लगभग 23 चक्रवात ओड़िसा तट को बालासौर एवं गोपालपुर के मध्य पार कर क्षतिग्रस्त कर चुके हैं। साधारणतः पिछले 100 साल मेँ लगभग 1 चक्रवात ने प्रतिवर्ष ओडिसा तट को पार किया है (महापात्र, 2001) | च्छ्वात क्छ उत्पत्ति व तित अनुकूल परिस्थितियों में पूवी हवाओं के विक्षोभों में उष्ण देशीय क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र निर्मित होता है। यदि समुद्र सतह का तापमान 27 सेल्सियस या अधिक हो तथा निम्न दबाव के केन्द्र में हवाएँ टकराकर ऊपर की ओर वांछित ऊंचाई तक उठने लगें तो वायु दाब में और कमी आने लगती है। नीचे सतह पर हवाओं का आपस में टकराना और ऊपरी सतह में अलग हो जाना हवा को ऊँचाई की ओर गतिशील करता है जिससे आर्द्र हवा ऊपर की ओर उठती है। ऊँची सतह पर मध्य वायुमण्डल में वाष्प जम जाती है और घनीभूतीकरण की गुप्त उष्मा मोचित करती है जिससे क्षेत्र में वायु दाब में और कमी आती है। इस प्रक्रिया के चलते कम दबाव का क्षेत्र तीव्र होकर चक्रवाती तूफान में परिवर्तित हो जाता है | अतः उत्तरी गोलार्द्ध में चक्रवाती तूफान के बनने तथा तीव्र होने के लिए निम्नलिखित अनुकूल परिस्थितियां आवश्यक हैं :- 1. समुद्री क्षेत्र जहाँ चक्रवात बनने जा रहा है विषुवत्‌ रेखा से 5 डिग्री उत्तर अक्षांश से ऊपर अथवा 5 डिग्री दक्षिण अक्षांश के दक्षिण में होना चाहिए जहाँ विज्नः^्दर्द 2003414




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now