विज्ञान -( फरवरी - मार्च , 1995) | Vigyan- (Feb-Mar-1995)

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[4 [र विजान ক = ॐ फरवरी-माचं 1995 जलीय पक्षियों ङी सुरक्षा हतु ““इन्टरनेशनल वाटर फाडल रिसं ब्यूरो” भी . सक्रिय रूप से कार्य कर रहा : है, जिम्का मुख्यालय इंगलंण्ड में है । ब्यूरो के निर्देशन में प्रतिबर्ष सर्दियों में एशिया महाद्वीप के विभिन्न देशों में जलीय ह ' पक्षियों की ग्रितती की जाती है। भारत में उक्त कार्य ब्यूरों के सहयोग से “बम्बई नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी” द्वारा किया जाता है | सोसायटी द्वारा जलीय पक्षियों व नम क्षेत्र सम्बन्धी ऑकड़े' “वैटलैण्डस एण्ड ' वाटर फाउल न्यूजलेटर , में प्रकाशित किये जाते हैं । इन्हीं ऑकड़ों को धय्रान में रखकर भविष्य हेतु मम क्षेत्रों में संरक्षण सम्बन्धी योजनायें . . बनती हैं। . ' শন ও এ है द नम क्षेत्र संरक्षण के क्षेत्र में चालू दशक की सब से क्षुरी खबर साईबेरियत सारस का घना राष्ट्रीय. उद्यान में आता बंद हो जाना है। यदि विश्व स्तर पर नम क्षेत्रों को वास्तविक स्वरूप में नहीं बचाया गया तो अनेक अलीय ` पक्षियों को इसी तरह नष्ट होना पड़ेगा 1 ^ হল | মা सम क्षेत्रों की हमारे पर्यावरण में अहम भूमिका है | हमारे षारिस्थितिकीय सन्तुलन को बरकरार रखते के लिये सम क्षेत्रों का संरक्षण करता ही होगा । यदि हम ऐसा करने में असफल रहेंगे तो गम्भीर पर्यावरणीय समस्‍यायें हमारे सामते होंगी । इश्से मानव जाति. के अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो गया हैं। मानव को इस चुनौती को स्वीकार करनी ही पड़ेगी। मानवता के सुखमय भविष्य के लिये हमें नम क्षेत्रों को प्रदूषणमुक्त रखते हुये संरक्षण के ठोस उपाय करने कामगं भपनानावचाहिये} . पु ५, = 1 . नवजात शिशु में श्वसन रोग ` प्रकाश कुम्भारे ঠা चिकित्सा-जगत में चहुँ-मुख्ी प्रगति होते हुए भी, अभी भी कितने ही नवजात शिशु अपने जीवन का पहला - प्रकाश देखदे ही काल-कवज्नित हो जाते हैं । इसका- मुख्य कारण है, इनमें पाया जाने वाला-श्वसन रोग । प्रायः जैसे ही शिशु जन्म लेता है, उसे साँस लेने में कठिनाई होती है । इससे उसकी मृत्यु भी हो सकती है । सम्पूर्ण विश्व में इसी कारण से नवजात शिशुओं की मृ यु दर अ धिक टै। इस तरह की पीड़ा का कारण शिशु के .. फेफड़ों में एक अनिवाये पृष्ठ सक्रिधक पदार्थ की कमी होना है । परिणामस्वरूप, फेफड़ों के पृष्ठों में तनाव उत्पन्न हो जाता है । ऐसे में जब शिशु सांस लेता है, तब फेफड़ों में जो छोटी वायुथेलियाँ होती हैं, जिन्हें 'एलबिओली'” कहा जाता है, के फूलने में काफी कठिनाई आती है | इससे नवजात शिशु के शरीर में पर्याप्त माता में ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती । चूँकि खूत को भी ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, इसलिए भाक्सीजन की समुचित मात्ना न भिन्ने पर शरीर के अन्य अंग कार्य करना बंद कर देते हैँ, जिध्षते शिशु की मृत्यु हो जाती है । वैज्ञानिक, अकाशन एवं सूचना निदेशालय, निकट पूसा गेट, नयी दिल्ली-110012 . `




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