भारतीय वन अधिनियम मीमांसा | Bhaaratiiya Vana Adhiniyam Miimaansa

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Bhaaratiiya Vana Adhiniyam Miimaansa by

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना या अल्पीकृत करता है। उदाहरण के लिए किसी भूमि का स्वामी होने के कारण क को उस पर स्व-वस्तु में अधिकार है; परन्तु जब क उस भूमि को ख को पट्ट पर देता है तो ख का उस पर पर-वस्तु में अधिकारःहो जातो है भौर क॒ का अधिकार ख के अधिकार के अधीन और उसके द्वारा सीमिञ्ब्हों जाता है। जो अधिकार अधीत हो जाता है वह অনুবনী (5616) “0०००0 कार कहलाता -है.लौर सीमित सा. : अल्पीकृत करने वाला अधिकार अधिष्ठायी (१णएां/॥॥) अधिकार कहन्नाता - है-+ पर-वस्तु में अधिकार चार प्रकार के होते हैं परन्तु वन विधि की दृष्टि से निम्न लिखित दो महत्त्वपूर्ण हैं : (१) पढ़ठा (९8७०)-सम्पत्ति अन्तरण [प्रक्षार्थआ) अधिनियम के अनुसार अचल सम्पत्ति का पट्टा ऐसी सम्पत्ति का उपयोग करने के अधिकार का ऐसा अन्तरण है जो एक अभिव्यक्त या विवक्षित (7719160) জলম ঈ লিহ হা शादवत काल के लिए, किसी कीमत के, जो दी गई हो या जिसके देने का वचन दिया गया हो, अथवा धन या फसलों के अंश या सेवा के जो अन्तरक को दी जाती है, प्रतिफल के रूप में दिया गया हो । सामण्ड के अनुसार, पट्टा एक प्रकार का विल्ल॑ंगम्‌ है जो किसी व्यक्ति के स्वामित्व में होने वाली सम्पत्ति के कब्जे और उपयोग का अधिकार-किसी अन्य व्यक्ति को देता है । (२) अधिसेविताएँ (5शं।४०४)--अधिसेविताएँ वे अधिकार हैं जो अधि- सेविता धारक को या तो अन्य व्यक्ति की सम्पत्ति को कुछ वर्गों के निश्चित रूप से सीमित उपयोग में लाने की शक्ति देते हैं या उस सम्पत्ति के स्वामी को कुछ वर्गों के निश्चित रूप से सीमित उपयोगों में लाने से अपवर्जित करते हँ । सामण्ड के अनुसार, अधिसेविता विल्लंगमू का वह रूप है जो किसी व्यक्ति को किसी भू-खण्ड का कब्जा दिए बिना उसके सीमित उपयोग का अधिकार देता है; जैसे किसी दूसरे की शूमि पर मार्ग या पशु चराने का अधिकार। पट्ट ओर अधिसेविता में अन्तर-- 0) पट्टू में पद्टाधारक को सम्पत्ति का कब्जा और उपयोग का अधिकार दोनों मिलते हैं। इसके विपरीत अधिसेविता धारक को सम्पत्ति का कब्जा नहीं मिलता । उसे तो कुछ वर्गो के सीमित ` उपयोग का अधिकार मिलता है । (0) पढुँदार का कब्जा अनन्य होता है अर्थात्‌ उसे स्वामी सहित अन्य सब व्यक्तियों को उसके उपयोग से अपवर्जित करने का अधिकार होता है। इसके विपरीत, अधिसेविता धारक को अन्य किसी को अपवर्जित करने का अधिकार नहीं होता ¦ ह अधिसेबिताओं के महत्वपूर्ण लक्षण--अधिसेविताओं का पहला महत्त्वपूर्ण लक्षण यह है कि उस में भूमि का कब्जा नहीं मिलता । अधिसेविता धारक को केवल कुछ वर्गों के सीमित उपयोग का अधिकार मिलता है। उसका दूसरा लक्षण यह है कि वह कोई कार्य करने का दायित्व चाहे न सौंपे, परन्तु कुछ करने से.




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