अमृत और विष | Amrita Aur Vishh

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Amrita Aur Vishh by जनार्दन राय - Janardan Ray

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हिन्दी-उपभ्यास [ ७ कथावस्तु--उपन्यास की पहली आवश्यकता है--एक कथा | कथा बहुत सी घटनाओं से मिलकर बनती है अर्थात्‌ कृथा मेँ एक से अधिकं, घटनाय होती है । उपन्यास मे कथा के रूप में मनुष्य-जीवन का चित्र होता है । उपन्यास की कथा काल्पनक होती है, पर वह्‌ संभाव्य होती रै, असंभव नहीं । यह सत्य नहीं होती, परन्तु सत्य हो सकती है । कथा में दन्द्र--जौवन बहुत विस्तृत है, उसके अनेक रूप हैं । अतः उपन्यास की कथा किसी भी प्रकार की हो सकती है | उपन्यास की कथा का सम्बन्ध मनुष्य के आथिक जोवनसेभी हौ सकता है, धामिक जीवन से भी, राजनैतिक जावन से भी भौर सामाजिक जीवन से भी । उपन्यास एक ऐसे मनुष्य की कथा है जो संघर्ष में लगा होता है। मनुष्य का यह दंघ्ष प्रकृति से भी हो सकता है (जैसे हेमिग्वे के उपन्यास 'सागर और मनुष्य” में), समाज से भो हो सकता है (प्रमचन्द के उपन्यासो मे) ओर अपने भापसेभी हो सकता है (जैने के उपन्यासो मे) । अतः उपन्यास की कथा में संघर्ष होता है । कथा के गुश--उपन्यास की कथा की रचना करते समय अनेक बातों का ध्यान रखना होता है। सारमेट साँम ने उपन्यास को कथा के निम्न गुण সান ই “कहानी क्रमबद्ध और विश्वासनीय होनी चाहिए। इसका आरम्भ, मध्य ओर अन्त होना चाहिए और अन्त आरम्भ का स्वाभाविक परिणाम होना, चाहिए और वे केवल कथा को ही विकसित करने वाले नहीं होने चाहिए अपितु कथा से ही उत्पन्न भी होने चाहिए ।” संफल कथा के लिए आवश्यक है कि -- १. उपन्यास की कथा संभव और विश्वसनीय हो । २. उपन्यास की कथा सुगठित और सुविकसित हो । ३. उपन्यास की कथा मौलिक हो । यथाथंवाद -- उपन्यास में काल्पनिक कथा के माध्यम से मावव-जीवन का चित्रण होता है, पर यह काल्पनिक कथा सत्य के निकट होती है। उपन्यास का विकास रोमांस कथाओं से हुआ है दोनों का अन्तर यही है। रोमांस कथाओं




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