जातक [खंड 2] | Jataka [Vol 2]
श्रेणी : अन्य / Others
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
481
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)पिपय पृष्ठ
२१० कन्दगछफ जातव' রি ३३४
[[ कन्दगकक ने खद्रिवन में रहनेवाते कठफोरनी
पक्षी की भक्त कर अपनी जाने गेंवाई । ]
७. पीरणत्यम्मक वर्ग ३३७
२११ सोमदत्त जातक ३३७
[पुत्र पिता को सिखा पढावर राजा से दो वैल माँगने
लगयय । पिता ने राजा से चैल मांगने के वदने वदा--
बैल लें 1]
२१२ उच्छिद्ुभत्त जातक 4 ३४०
[ ब्राह्मणी ने अपने पति को झपने जार का बूटा
भात खिलाया । ]
२१३ भरु जातक ३४३
[ম राजा ने रिश्वत ले वट वृक्ष मे लिए भंगडते
वाल तपस्वियों का कंगडा बढाया । ]
२१४ पुण्णनदी जातक ३४७
[ राजा ने क्रोधित हो अपने बुद्धिमान पुरोहित को
निकाल दिया था। पीछे उसके गुणा को याद कर कौवे
का मास भेज कर वुलाया । ]
२१५ कच्छप जातक ४ ३४६.
[ दस-वच्च म्रपनी चोघ म एक लक्डी पर क्टुवको
लिए जा रह थे। उसने चुप न रह सकते के कारण
राकाया स गिरकर जान ग्रेंवाई। 1]
२१६ मच्छ जातक 5;
[ कमी भच्छ ने मच्छुप्रा से प्राण की भिक्षा मनी 1]
३१७ सेग्गु आवक ইহ
[ पिता न पुत्री के ववारपन की परीक्षा की । ]
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