आधुनिक हिंदी काव्य मे नारी भावना | Adhunik Hindi Kavya Me Nari Bhavna
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
273
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका ] ह हु রা
( ३ )इृष्णोपासक भक्तों की, जिसके प्रमुख कवि सर दें और ( ४ ) प्रेममार्मियों की, जिसके प्रमुख
कवि जायसी हैं | साम्यदायिक-दृष्टि से इन चारों में चाहे जो भी भेद रहा दो; किन्ठ नारी
इन सबका दृष्टिकोश एक হী, টা
एराशों में नारी फे दो रूप दिखाई, पड़ते हैं; सामान्य सथा
` नोभे क सामान्य या यथार्थ रूप के सम्बन्ध में सभी भक्त-कवि एक स्वर से घ॒णा-
स्मक्र-भाषना को अगिग्यंजना करते हैं | यद् भाषना क्रोध और दिता से भरी हुई है। भक्त-
कवियों ने नारी को शआाध्यात्मिक मार्ग की वाघा फे रूप में देखा हे ।* इसीलिए उसे भ्रप्ट
करनेवाली माया का ही साक्षातत् रूप माना है 1* छसमे सोत्र आाक्पंण दे, किन्तु सन्त को
झससे दूर रहने फे लिए. इन कबियों ने बार-बार चेतावनी दी ই 1৯ বহাল भक्त कवियों ने.
नारी को 'सर्पिणी”, 'वाधितीः, “पैठी छुरी?, “विप की वेनि वदि. विशद. दिष् ह । भक्त
कवियों का विश्वास है कि स्त्री में काम-प्रच॒त्ति अ्रध्यन्त प्रवत्ल होती दे, इसलिए बुद्धा तथा
जननी पर भी विश्वास करना वे उचित नहीं समभधे *' और छोटी-मोटी कामिनी सब दी
की विप की बेलि क्ते ६ प्रेम के छेत्र में भी नारी को स्थिर तथा छलपृख माना गया
है भक्छ-कवि नारे फो श्रत्यम्त नोच तथा कथष्टी मानते ई, जो श्रपनी नीच इच्छाश्रो की
पूति फे लिए सव कुछ कर सकती ९ ।> यद उ्तको शक्कि्मां दम्य हैं, पुरुष उसको समझ
पाने में असमर्थ रहता है ।* नारी को इतना र्गो से युक्त द्यौर् श्रविश्वन्ननीय मानते हुए.
कवि दोल-गंबार और पशु तक से लसकी तुलना कर देता है और ताड़ना का सहज अधि-
कारी बता देता है ।१० ~
+सूरदास--सुरसधाः वकाम क्रोध“ और पद् १७, ए०,< 1
घही---“बौरेसन ' * ***बौरह्ना”! पद् १८२७ ४० हे१ !
कचीर--^चस्ती-चलौ ~“ ---दोय,” स० वा० सरं= भार १, दोदा १, ए० ७छट |
वटी (नारी-मवावै- * कोय, दोहा < शु ५८ ॥
य्दुलसो--राम चरित मनस, चृतीष सोपम्न ददा ७६-७७ ५ ३२० |
उ वही--देटा ८० ० ३२६ ॥
अब्रही--अआ्रत्ता' * ****विल्योकी ?, दोहा २५, छ+ २.९९ |
९ लद---सं० बा> सँ० भाग, १, दोदा १-२ > २२३॥
ष्कयीर- सं० चः० संन भाग १, दोहा १४ ए० ৭1
७ धूरदास---खूरसागर, समवस स्फंध, पद ४४६ ।
प्युतसी--रामचरित मसामझछ, कित्तीय सोपान, बोडा ४८, इ> १७६
भ्वष्टी-र५थयपि' * अनणा दोष्धा २५२८० १६८}
१०वष्टी--शॉच रा सोपान, ० २३६६ |
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