नेहरू विश्वशांति की खोज में | Neharu Vishvashanti Ki Khoj Me
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
283
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १६ )
दूसरे दिन जनरल डायर ने शहर के रईसो, म्पुनिस्पल कलिव নি
रियो श्रादि को एक समा कोतवाली में क्री, जिसमें का गया सो: न नही
चाहते हैं, शान्ति या युद्ध ? यदि शान्ति, तो सब डुकाने खुलवाइसे, মি
तो बन्दूको के वल से दुकानें खुलवायी जायेगी 1? जनरल डायर के बाद শি
মনি बोलै--कप्राप लोगो ने अग्रेजी को मारकर छुरा काम किया है । श्र ध
मौर श्रापके बच्चो ।से वदला लिया जायेया # १४५ अप्रैल को सब दुकानें
खुल गयी थी। लोगों ने समझा था লি নল আন शान्ति हो गयी, और ४ छ
न द्ोगा। पर मार्शल-ला की घोषणा करने के बाद ६ जून तक लोगो को निम्न
लिखित भिन्न-भिन्न कष्ट सहने पड़े । गमो बो कोड
(২) जिस गली में भिस शेरउड़ पर मारपीट हुईं थी, महाँ लो দা
लगाये गे, उपर से णान वालो को पेट के चल रया गय (२) समी অটল
को सल्लाम करना पड़ता था, नहीं तो गिरफ्तारी झौर श्रपमानका भयथा
(३) मामूली बातो पर लोगो को आमतोर से कोड़े लगवायें जाते थे (४) शहर
के सभी चकील अकारण ही स्पेशल कास्टेबिल बनाये गये और साधारण कुलियों
यी भांति उन्हें काम करना झौर चलना पड़ता था ¡ (५) चिना प्रतिष्ठा काः
स्याल किये सोम अन्पाधून्य पकड़े जाते थे झौर उनसे भ्रपराध स्वीकार कराने
या दूसरे सबूत के लिये या केवल उनका अपमान करने के जिये नाना प्रकार के
वष्ट दिये जाते थे।
1 (हारा गयो टस संत सपा के सिलसिले सें डायर से डा० सत्य-
पालभोर शण किचलू को गिरफ्तार फरके न जाने कहाँ मेज दिया । इस समाचार
से भ्रमृतसर में सबसनो फल गयी भी३ सहस्रों सनुष्पों को भीड़ नंगे पैर
नगे पिर दिष्टो कमि्नर के यंगले को भोर जाने लगो । भौड़ अपने नेताझों को
पगा আনুনী এ पर रेलवे पुल के पास संब्रिकों ने उन्हे रोफा। संनिकों से
सूठभेड़ हुई । শীত লিক ने गोलियां चलादों ॥ इसके चाद जनता के सन में
नां
दवौ चिनगारो भोला बनकर भड़क उठो ॥ जिसको लपटों से कई अंग्रेज सारे
गये, कई इमारते नलं ॥ আহি मलो न चलता ग होतो तो ऐसी घटना कभी
नहीं घट सकती थो )
छः
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