श्री वर्धमान चरित | Shree Vardman Chrit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Shree Vardman Chrit by श्री आत्माराम जी - Sri Aatmaram Ji

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj

Add Infomation AboutAatmaram Ji Maharaj

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रसन्नचित्तसे जन्मोत्सव मनाया तदुपरान्त निजमाताके पास खापन करके आकाशमे चले गये । फिर उसी समय सिद्धाथे महाराजकी सुखदायक जन्मकी खबर दी गई राजा सुनतेही असीम ग्रफुछित तथा हर्पित हुआ और समस्त नगरमें आनन्दोत्सव करनेके लिये झाज्ञा भेज दी उसी समय सारे नगरमें प्रत्येक खानपर गन्धयुक्त उदक ( जल ) द्वारा रज (राख ) को उपशान्त किया गया, विविध प्रकारके वादिज्रोंके बजनेसे आाकाशमंडल गूंज़ने लगा, अनेक गायक अपने सुन्दर गीतोंस नागरिक जनोंकों प्रसन्न करने लगे चारों योरसे भुबारिक वादी ( धन्यवाद ) के नाद सुनाई देने लगे घर २ में मंगलाचार होने लगा मारी पुरुष सबने शक्तिके अनुसार धनव्यय करके जन्मोत्सव मनाया । महाराज सिद्धाथन कुमारके जन्मकी खुशीमें कारागारके बन्दियोंको छुड़ादिया तथा दशादिवसके लिये कर ( महमल ) का लेना बन्‍्दकर दिया. दानशालायें खोली गई जिनसे अनेक दुःखियों, अनाथों, धनहीनोंकों अन्नपान मिलने लगा यावत्‌ समस्त नगरमभें यह उदवोपणा करवाई गई कि कोई पुरुष किसीको दृःख न देवे, जिस किसीको किसी भी वस्तुक्ी इच्छा हो वह गजद्ारसे ग्रहण करे इस प्रकार कुण्डल- पुर नभगमे नन्पक्रा महान्सव किया गया। कुमारके माता पिताने प्रथम दिन कुलकी मयादाके अनु सार खिलति कमर किया. ततीयदिन चन्द्रमब्यदशन संस्कारके लिये विशेष उन्‍्सव किया गया, पष्ट दिवसमें सात्रिको घम-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now