आना केरेनिना | Aana Karanina
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
174
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)লালা ঈইলিনা १५
और भ्रान्ति के कारण रूडखडा रहे थे। एक कुर्सी का सहारा लेकर
वह खडी रही।
आब्लान्सकी के दबे हुए आँसू फूट पडे। वह प्राय' सिसकियाँ
भरते हुए कहने लगा--'डाली, ईश्वर के लिए तनिक बच्चो की
बात तो सोचो ! उन्होने क्या अपराध किया है ? मुझे जैसा जी चाहे,
दण्ड दो। अपने पाप का फल भोगने को में तैयार हूें। में दोषी
हैं, मुझसे निस्सन्देह भयकर अपराध हुआ है। पर डाली, मुभे यदि
ठम क्षमा न करोगी, तो कौन करेगा? और बच्चे --*
डाली की साँस बडी तेजी से चल रही थी और खडे रहने की
दक्ति उसमे नहीं रह गई थी। वह कुर्सी पर बैठ गई और वार
वार तीखे शब्दों में अपने पति की बात का उत्तर देने का प्रयत्न
करने लगी, पर दम फलने के कारण वह कुछ बोल नही पाती
थी। जब कुछ सुस्ता चु-1, तब उसने कहा-- तुम बच्चों की बात
तेव सोचते हो जव तुम उनसे हँसना-खेलना और अपना जी बहलाना
चाहते हौ, पर मे सव समय उनकी चिन्ता करती रहती हैं। में
जानती हूँ कि अब उनका कही कोई ठिकाना न रहा। में हर
हालत मे उन्हे विनाश से बचाना चाहती हूँ। पर कंसे बचाऊं ?
ঘা तो उन्हे उनके बाप से सदा के लिए छूडा देना होगा, या उस
दश्वरिव--हां, घोर दु्चरित्र पिता की देस-रेस में छोड देवा पडेगा।
तुमने जो कुछ किया ह, उसका पता र्ग जाने परमे कैसे तुम्हारे
साय रह सकती ह 1 यह् कंसे सम्भव हो सकता हं, वताम ! बताओ | ”
उसका कण्ठस्वर तीव्र से तीव्रतर होता चला जता था। ह
आब्लान्सकी अपना सिर भुकाकर अत्यन्त करुण स्वर में केवल यही
कहता चला गया--पर अब इसका क्या उपाय है क्या उपाय है!”
डाली प्राय चिल्लाती हुई बोली--“तुम अत्यन्त घृणित और श्रष्ट
है! तुम्हारे ये आंस केव पानी की वृंदे है, इनका, कोई मूल्य नही
३। तुमने कभी मुभे नही चाहा; तुम्हारे हृदय है ही नहीं, व
म्द प्रतिष्ठा की कुछ परप ह) तुम अत्यन हीन और नीच हो;
परे लिए तुम अब एक अपरिचित पुरुप के समान हो ! “ उसके एक-
एक शब्द मे भयकर कटुता भरी धी।
आन्लान्सको ল एकं बार सिरे उठाकर अपनी पत्नी की भौर देवा ।
उसके मुल पर घृणा আঁ क्रोध की प्रगाढ छाया देखकर वह वास्तव
# धघवरा उठा। डाली एस हद तक उससे धृणा कर सकती है,
शख घात की कल्पना उसने पहफे नही की थी। वह् मन ही मन + `
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Nitin
at 2020-05-14 06:34:04