संस्कारदीपकः | The Samskara Dipika Part 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)< © ॐ क
सथकथस्दाश्णो पणल्णावा ! 9 र
মন্দ धारयेद्रिभः पतितं सर्वैक्ेसु |
मन्त्रं विना घनं यत्तु एदित्रपफ रं भवेत् ४
एविन्नवन्त इत्पादिमन्त्रद्विवयमस्य तु ।
इति प्रधोगपारिज्ञाताक्ते। | हे माहावाजओई--
उभास्यामेद पाणिभ्यां विग्रेदेमे।वित्रके |
घारणीये पमसनेन बह्मग्रन्धिसपन्विते ॥
ब्रह्मयज्ञे जपे चेत प्रद्मग्रन्थिविषोयते ।
भोजने चतुकः भाक्तः एवं धर्मो न हीयते ॥ इति ।
हतग्रन्थिमत्पावित्वकक्षणम॒क्त हेसादी गारुले--
अद्ध प्रदाक्षिणीकृत्य शिखायां संपवेश्षयेत् ।
वेष्णवेनेव मा्गेण वृत्तग्रन्थों पर्रिच्रके ॥
वेष्णवों मार्ग-पश्चाद् भागः । ब्ह्मग्रन्यिमत्पवित्र कक्षण-
১
संत्वञ्य वेष्णवं मा च्य मागेविनिःतप् ।
सद्कखद्क्षिणीदस्य पवित्रपाभिधौयते ॥
तत् ब्रह्मग्रन्थिमसोक्तं पिति বহন ¦ । शति ।
पनित्रकतुरथिमुखमपरे शं ब्रह्मभागे; । सवस्ताघारणपवित्र.
छक्षण ठु+-
अनन्तगेमिणं सागर कोश द्विदझमेव च |
पदेश्चमात्रं विज्ञेये पवित्र यत्र कुत्नचित् ॥
इति छन््दोगपरिशिष्टीत्त शज्षेयम् | द्विदकमू-अखण्डे-
कपनत्रात्मकमिति केचित् । पतन्नद्यात्पकमत्यन्पे । तद्दिचारस्तु
अग्रे स्फुटी भाविष्यति ॥
(९)आचमभन चाधिकाररतावच्छदकम् । बदुक्त माकण्डयन-~
देवाचनादिका याणि तथा शुवंभिवादनम्र ।
कुर्वीत सम्यगाचम्य प्ररतोऽपि सद्ा द्विजः ॥ इति।
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