स्नेह स्मृति | sneh smriti
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
684
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)५ এ
१६ शरवश्पक दिग्दशन
स्प्म ले रहा है ? मनुष्य के शरीर वा वास्तविक रूप क्या है ? इसके
लिए एक कवि की कुछ पंक्तियाँ पढले तो ठीऊ रहेगां ।
आदमी का जिंस्स क्या है जिसपे शेदा है जहां;
एक मिटटी की इमारत, एक मिट्टी का অঙ্ক!
खून कां गाय है इसमें और ই हंडिड्यों:
चंद सॉसो पर खड़ा है, यह खबाली आसमाौं ।
मोत की पुरज्ोर ऑधी इससे जब॑ टंकरायंगी ;
देख लेना यह भारत टूट कर गिर जायगी |
यदि बल नहीं तो क्या रुप से मनुष्य महान् नहीं बन सकता ?
रूप क्या है ? मिद्टी की मूरत पर जरा चमकदार रंग रोगन | इंस को
घुलते ओर साफ होते कुछ देर लगती है ? संसार के बड़े-त्ढ़े छुन्दर तदण
आर तठखणियों कुछ दिन ही अपने रूप ओर योवन की बहार दिखा सके |
ছু खिलने भी नहीं पाता है कि मुरकाना शुरू हो जाता है |! किसी
रोग अ्रथवा चोट का आक्रमण होता है कि रूप कुरूप हो जाता हैं, और
झुन्दर अंग भर्न एवं जजेर ! सनत्कुमार चक्रवर्तों को रूप का अहकार
करते कुछु छण ही गुजरने पाये थे कि कोढ ने आ ছবা। ভীনন্তা
निखरा हुआ शरीर सडने लगा। दुर्यन्ध असह्ाय हो गई । मथुरा की
जनपदकल्थाणी वासवदतता कितनी खरूपयरविता थी। सत्रि के सेघन
छन्धकार मे भी दीपशिखा के समान जगपग-जगमग होती रहती थी !
परन्तु बौद्ध इतिहास कहता है क्रि एक दिन चेंचक का आक्रमण हुआ ।
सारा शरीर क्षव॒ विक्षत हो गया, सडने लगा, जगह-जगह से सवादे वह
निकला । राजा, जो उसके रूप का खरीदा हुआ गुलाम था, वासव-
दत्ता को नगर के वाहर বাই कूडे के ढेर पर मरने को फिक्वा देता है ।
यह है मनप्य के रूप की इति। क्या चमडे का , रंग ओर हड्डियों का
गठन भी छुछ महत्व रखता है ? चमडे के हलके से परदे के नीचे क्या
कुछ भरा हुआ है ? स्मरण मात्र से घुणा होने लगती है ! जो ङं
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