स्नेह स्मृति | sneh smriti

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Book Image : स्नेह स्मृति  - sneh smriti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ এ १६ शरवश्पक दिग्दशन स्प्म ले रहा है ? मनुष्य के शरीर वा वास्तविक रूप क्या है ? इसके लिए एक कवि की कुछ पंक्तियाँ पढले तो ठीऊ रहेगां । आदमी का जिंस्स क्‍या है जिसपे शेदा है जहां; एक मिटटी की इमारत, एक मिट्टी का অঙ্ক! खून कां गाय है इसमें और ই हंडिड्यों: चंद सॉसो पर खड़ा है, यह खबाली आसमाौं । मोत की पुरज्ोर ऑधी इससे जब॑ टंकरायंगी ; देख लेना यह भारत टूट कर गिर जायगी | यदि बल नहीं तो क्या रुप से मनुष्य महान्‌ नहीं बन सकता ? रूप क्‍या है ? मिद्टी की मूरत पर जरा चमकदार रंग रोगन | इंस को घुलते ओर साफ होते कुछ देर लगती है ? संसार के बड़े-त्ढ़े छुन्दर तदण आर तठखणियों कुछ दिन ही अपने रूप ओर योवन की बहार दिखा सके | ছু खिलने भी नहीं पाता है कि मुरकाना शुरू हो जाता है |! किसी रोग अ्रथवा चोट का आक्रमण होता है कि रूप कुरूप हो जाता हैं, और झुन्दर अंग भर्न एवं जजेर ! सनत्कुमार चक्रवर्तों को रूप का अहकार करते कुछु छण ही गुजरने पाये थे कि कोढ ने आ ছবা। ভীনন্তা निखरा हुआ शरीर सडने लगा। दुर्यन्ध असह्ाय हो गई । मथुरा की जनपदकल्थाणी वासवदतता कितनी खरूपयरविता थी। सत्रि के सेघन छन्धकार मे भी दीपशिखा के समान जगपग-जगमग होती रहती थी ! परन्तु बौद्ध इतिहास कहता है क्रि एक दिन चेंचक का आक्रमण हुआ । सारा शरीर क्षव॒ विक्षत हो गया, सडने लगा, जगह-जगह से सवादे वह निकला । राजा, जो उसके रूप का खरीदा हुआ गुलाम था, वासव- दत्ता को नगर के वाहर বাই कूडे के ढेर पर मरने को फिक्वा देता है । यह है मनप्य के रूप की इति। क्‍या चमडे का , रंग ओर हड्डियों का गठन भी छुछ महत्व रखता है ? चमडे के हलके से परदे के नीचे क्‍या कुछ भरा हुआ है ? स्मरण मात्र से घुणा होने लगती है ! जो ङं




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