प्रेमसुधा | Premsudha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सम्यक्त्व संरक्षण ই
सज्जनों ! ' यह क्रोध बड़ा ही भयानक হাগ है। क्रोध के
वशीभत होकंर बड़े-बड़े ज्ञानी भी ज्ञान भूल जांते हैं। कुछ ही
' . दिलों की बात है कि अजमेर में एक श्रोसवाल भाई कुएं में कूद
कर मर गया । हमें ज्ञात हुआ था कि वह धर्म का ज्ञाता और
' आचरण करने वाला भी था |
.. - पाठशालाओं में पढ़ने वाले कई बालक जब परीक्षा में शनु-
.. त्तीर्ण हो जाते हैं तो ऑप अखंबारों में पंढ़ते होंगे, वें रेल के नीचे
- दवं करं मर जाते हें। भले मनुष्य की बुद्धि का इससे बढ़कर
, दिवालिंयापनं और क्या हो सकता है ? इस प्रकार कट কহ লহ
-जेनि से उसे क्या उत्तीर्णता प्राप्त हो गई ? क्या प्रमाणपत्र मिल
. “गया ? वह अंनुत्तीर्णतां और लज्जा के कारण इस शरीर से तो
“ - मर गयां किन्त् श्रपघात करके उसने श्रपने जन्म-मरण की श्युंखला
. औरं भी लम्बी कर ली
| भादयोः ! दो पहलवान लड्तेहंतोदोनो में से किसी एक
की हार तो निश्चित है ही। सब लोग व्यापार करते हुं । उनमें
से किसी को नंफो और किसी को नुकसान होता है । यंह हानि-
' लाभ और उतार-चढ़ाव तो संसार में होता ही रहता हैँ । किन्तु
इसके कारण श्रपने मल्यवान् प्राणों को अपधात कर क्यों खो रहे
हुं? जीवित रहेगा तो फिर भी विद्याभ्यास् करेगा) कदाचित्
ও विद्याश्यास न॑ किया तो दूसरे प्रकार से जीवन का लाभ उठा
सकता है; देश, समाज और धर्म की सेवा कर सकता है !
` ` केहावतः प्रसिद्ध हं --
जदा रहे तो लाखों पायं ।
प्रतएव इन ग्रनमोल प्राणों को वृथा गंवा देना महामर्खता
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