प्रेमसुधा | Premsudha

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Premsudha by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
सम्यक्त्व संरक्षण ই सज्जनों ! ' यह क्रोध बड़ा ही भयानक হাগ है। क्रोध के वशीभत होकंर बड़े-बड़े ज्ञानी भी ज्ञान भूल जांते हैं। कुछ ही ' . दिलों की बात है कि अजमेर में एक श्रोसवाल भाई कुएं में कूद कर मर गया । हमें ज्ञात हुआ था कि वह धर्म का ज्ञाता और ' आचरण करने वाला भी था | .. - पाठशालाओं में पढ़ने वाले कई बालक जब परीक्षा में शनु- .. त्तीर्ण हो जाते हैं तो ऑप अखंबारों में पंढ़ते होंगे, वें रेल के नीचे - दवं करं मर जाते हें। भले मनुष्य की बुद्धि का इससे बढ़कर , दिवालिंयापनं और क्या हो सकता है ? इस प्रकार कट কহ লহ -जेनि से उसे क्या उत्तीर्णता प्राप्त हो गई ? क्‍या प्रमाणपत्र मिल . “गया ? वह अंनुत्तीर्णतां और लज्जा के कारण इस शरीर से तो “ - मर गयां किन्त्‌ श्रपघात करके उसने श्रपने जन्म-मरण की श्युंखला . औरं भी लम्बी कर ली | भादयोः ! दो पहलवान लड्तेहंतोदोनो में से किसी एक की हार तो निश्चित है ही। सब लोग व्यापार करते हुं । उनमें से किसी को नंफो और किसी को नुकसान होता है । यंह हानि- ' लाभ और उतार-चढ़ाव तो संसार में होता ही रहता हैँ । किन्तु इसके कारण श्रपने मल्यवान्‌ प्राणों को अपधात कर क्‍यों खो रहे हुं? जीवित रहेगा तो फिर भी विद्याभ्यास् करेगा) कदाचित्‌ ও विद्याश्यास न॑ किया तो दूसरे प्रकार से जीवन का लाभ उठा सकता है; देश, समाज और धर्म की सेवा कर सकता है ! ` ` केहावतः प्रसिद्ध हं -- जदा रहे तो लाखों पायं । प्रतएव इन ग्रनमोल प्राणों को वृथा गंवा देना महामर्खता




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now