विश्व - परिचय | Visva - Parichay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विश्व-परिचय _
परमाणुलोक
हमारा सजीव शरीर कई बोध या सममः की शक्तियों को
` लेकर पैदा हुआ है, जैसे देखने का बोध, सुनने का बोध, सँँघने
का बोध, चखने का बोध और छूने का बोध । इन्हीं को हम
अनुभूति कहते हैं। इनके साथ हमारा अच्छा-बुरा लगना और
हमारे सुख-दुःख गँथे हुए हैं।
हमारी इन अनुभूतियों की सीमा बहुत अधिक नहीं है।
हम बहुत थोड़ी दूर तक ही देख सकते हैं और बहुत कम बातें
.' झुन सकते हैं। अन्यान्य बोध-शक्तियों की दौड़ भी बहुत दूर
- तक नहीं है । इसका मतलव यह दै कि हम जितनी शक्ति का
सम्बल लेकर आंये हैं वह इसी हिसाब से मिली है कि हम इस
पृथ्वी पर अपने प्राण बचा रखें ।
जिस नक्षत्र से पृथ्वी का जन्म हुआ है और जिसकी ज्योति
इसके प्राणों का पालनं कर रदी है वह है सूर्य । इस सूर्य ने
हमारे चारों ओर प्रकाश का पर्दा टाँग दिया है । प्रथ्वी के सिवा
इस विश्व में और भी कुछ है, यह बात वह देखने नहीं देता ।
किन्तु दिन समाप्त दोता दै, सूरज दवता दैः आलोक का पदां
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