अनुराग | Anurag
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
162
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सम्पादकीय १४
सरस्वती के पावन मन्दिर में कार्यरत रहते हुए भी समाज-
सेवा की प्रवल अभिलापषा शच्तर्मन में सदेव विद्यमान रहती है ।
इसी अभिलापा के अधीन समाजसेवा हेतु कुछ रचनात्मक कार्य
करने की प्रेरणा भगवाव् महावीर के इस पुण्य परिनिर्वाण
दिवस पर प्राप्त हुई इसे रोकना संभव नहीं हो सका और मैंने
इसे गति देना स्वीकार कर ही लिया । इसी का परिणाम
श्रनुराग' प्रथम प्रयास के रूप में है। न मैं साहित्यकार हूं न
विद्वता की परिभाषा में समाहित विद्धान् हूं । मैं क्या हूं ? सिर्फ
एक उत्साही युवक-कुछ कर लेने की चाह में, कुछ पा जाने की
इच्छा लिये मां सरस्वती के मन्दिर की; ओर वेतहाशा भागता
हुआ दर्शनार्थी । बस और कुछ नहीं 1
दिनांक ३-११-७५
दीपावली
२५००बां निर्वाण महोत्सव समापन दिवस
प्रमृतलाल नाहर
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