भारत की भाषाएँ तथा हिंदी | Bharat Ki Bhashayen Tatha Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
338
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भारत की भाषाएं तथा हिन्दी ६
से एक सहस्र वषं पूव उच्च सम्यत ग्रहण की । इसी प्रकार मणिपुर की
मेड-तेड या मणिपुरी जाति भी, पिछले दो-ढाई सौ वर्षो से वगालके
गांड़ीय वैष्णव बर्म के प्रभाव से सुसस्क्ृत होकर कला तथा साहित्य के क्षेत्र
में अग्रसर हो रही है । इनकी अन्य उपजातियाँ गारो, लुशई तथा नागा हैं ।
भारत में भोट-चीनी भाषा-भाषी चालीस लाख हैं। इस प्रकार भारत की
कूल जनसख्या के ये ८५ प्रतिगत हैँ ।
(४) भारोपीय श्रवा श्रायंमाषा-परिवार-भारोपीय शब्द वस्तुतः
भारत-यूरोपीय का सक्षिप्त रूप है। इस परिवार की भाषाएँ उत्तर-भारत,
पाकिस्तान, श्रफगानिस्तान, ईरान तथा सम्पूणं यूरोपमे बोली जाती है।
संस्कृत, पालि, अ्रवेस्ता की भाषा, पुरानी फारसी, ग्रीक एवं लैटिन आदि
भाषाएँ इसी परिवार की थी। आजकल इस कुल मे श्रग्रेजी, फ्रासीसी,
जर्मन, भ्र्वाचीन फारसी, परतो, सिन्धी, पजावी, हिन्दी, मरादी, गुजराती
विहारी, बैँगला, उडिया तथा असमिया आदि भाषाएं हैं ।
विद्वानों की यह राय है कि इस परिवार की भाषा के बोलने वाले
'विरास” अथवा आये लोग, ईसा से लगभग तीन सह वर्ष पूर्व यूराल
पवेत के दक्षिण, रूस की समतल भूमि मे रहते थे। पर भारोपीय-भाषा-
भाषियो के आदिम स्थान के सम्बन्ध मे सव विद्वान उपर्युक्त राय से सहमत
नही है ओर इस विषय मे उनमे पर्याप्त मतभेद है । फिर भी भाषाश्रोके
अध्ययन के परचात् यह अनुमान लगाया ही गया है कि यह स्थान कही
यूरोप मे ही था। इसी स्थान के रहने वाले मूल भारोपीय भाषा के बोलने
वाले थे ओर यही यूरोप तथा भारत की अनेक प्रावीन एव अर्वाचीन श्राये-
भाषाओ्रो की जननी थी। इसकी विभिन्न शाखाएँ पश्चिम, दक्षिण तथा
दक्षिण-पुर्वे की ओर फेल गईं। ईसा से लगभग হী অভ অত पूर्व उत्तरी
भेसोपोत्तामिया भे सर्वप्रथम आरयो का पता चलता है। काशी नामक इनके
एक दल ने ईसा से १७४४ वर्ष पूर्व वाविलन नगर पर भ्रधिका र करके वहाँ
राज्य करना प्रारम्भ कर दिया। मितान्नी तथा हाररि नाम के इनके दो
अन्य दलो ने इधर स्वतन्त्र राज्य स्थापित के । श्राय चलकर इनकी कुछ
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