सागर तट | sagartat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
248
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सामने सम्राज्ञी ने प्रपने प्रापको प्रफ़ोडाइटी (सौन्दर्य की ग्रीक देवी) कौ
मूत्ति वनाने के लिए माडेल के रूप में पेश कर दिया रहै 1
“लोग कहते हैं कि वह सम्नाज्ञी का प्रेमास्पद है, वह मिस्र का
स्वामी উ 1”
“बह प्रपोलो* की त्तरह सुन्दर है |”
“प्राह, वह लौट रहा है 1 मुभे प्रसन्नता है कि आज मे यहाँ हूं,
में घर जाकर कह सकूंगा कि मेंने उमे देखा है। मेंने उसके बारे में
प्रनेक कहानियाँ सुनी हैं। मालूम होता है कि आज तक कोई भी नारी
उसके सम्मुख समपंण करने से झ्रयने को रोक नही सकी है। उसने
जीवन में प्रनेक खेल खेले हैं ।॥ क्या तुम यह नहीं जानती ? यह किसे
प्रकार हुप्रा कि सम्राज्ञी को आज तक उसकी सूचना ही नहीं
दी गई ?
“सम्राज्ञी उन सब चीजो को हमारी तरह ही सब कुछ जानती है ।
लेकिन वह उसे इतना प्यार करती हैं कि उन बातो को जबान पर
लाने का साहस ही उनमें नही है। उन्हें भय है कि कही वह नाराज
होकर अपने स्वामी फेरीक्रेठस के पास न चला जाए। वह सम्नाज्ञो के
समान ही शक्तिशाली भी है। फिर वात तो यह है कि मम्राज्ञी को
ही उसकी चाह अ्रधिक है 1“
“वह बहुत सुखी मालूम नहीं पडता । उसके व्यक्तित्व मे इतना
विपाद क्यों है ” घुझे लगता है कि श्रगर उसके स्थान पर में होता तो
श्रपने को एक सुखी आदमी समझता । मेरी तो हादिक कामना है कि
में डिमिट्रयीस वन सकता । चाहे केवल एक साँक के लिए ही ।”
सूर्य भस्त हो छुका था । वह नारी उस पुरुष की श्रोर देख रही
थी, जो समस्त नारी-वर्ग का स्वप्न वन छुका था । वह इस यथार्थ से
भ्रवगत नही था कि उसकी उपस्थित्ति ने वातावरण में क्या हलचल पैदा
कर दी है श्लौर वह जगले के ऊपर भुका हुआ था झोर अलगोजा
£ अपोलो--यूनानी यय॑देव और पौस्पेय सौंदर्य का प्रतीक ।
হও
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