नरमए हरम | Nar Maye Haram
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
280
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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मदिरा-पानसे परिपूर्ण,
महिलाओ्रोंकी शाइरो--अख्तर'
इधर तही दहे पवू, उस तरफ़ तही सागर !
चह वादा-रेज़िए-महफ़िल्की सुबहो-शाम कहाँ !
मिटे हुए-से हैं कुछ नक्शे-पोौ ज़रूर मगर
रहे - तलबमें' वह याराने - तेज़गाम कहाँ?
नवाए - वक्ती बहुत गुलफ़ियाँ सही लेकिन
वह जाँ नवाज़ सुहष्बत अदा, पयाम कहाँ !
शर्मीमे-शामे-मुहच्बतकी .. क्या करूँ “अख्तर! !
नसीमे-सुबहे-तमन्नाका वह ख़राम कहाँ ?
ग़ज़ल
जिसमें सरूरे - दर्द - ग़मे - आशिक़ी ` नही
वोह ज़िन्दगी, तो मौत है, बोह जिन्दगी नहीं
जिसमें बराए - रास्त हो उनसे सुआमछा
নাহ ! ऐन होश है, वोह बेखुदी नहीं
इक शवने-अन्दरीवकरे ` दमसे थी सव वहार
फूलोंमं अब वोह रंग नहीं, दिल्कशी नहीं
१७
१. रदिराका षडा खाली है, २. मदिराका प्याखा रिक्त दहै,
४. चरणचिह्न, ५. प्रेम-मार्गमें, ६. शीघ्रगामी,
समयका गीत, ८. नुहावना, ९. जीवन-संचारक प्रेम-सन्देल, १०. सन्ध्या
वगलछीन सुगन्धको, ४१. आदा शूप प्रातःकाटीन चाट, १२. प्रेम व्यथा्थ-
वा नया, १३. सीधा सम्बन्ध, १४. वैहोयी, १५. वुटवुलके विदानके,
१६, आकर्षण ।
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