राम बादशाह और रामभक्तों के चरण कमलों में | Ram Badshah Or Ram Bhakto Ke Charan Kamlo Main
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
11 MB
कुल पष्ठ :
404
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)साधु के बेप में २
“एक हिन्द देवदूतः शपे के अन्तर्मत पोर्ट्लेएड के एक समाचार-
'पन्न ने लिखा था --
“छोटा श्रौर क्षीण शरीर, काली तेजपूर्ण उतर आँखें, क्रोल्ाइव
वर्ण, एक काला सूट शरीर दर समय तिर षर ए दार नोत्त पून,
चस यही स्वामी राम की रूप-रेखा है। भारतव्फ छा यही प्रादमी
श्राजकल पोग्ले्ड में श्राया हुश्ला है । यह एक भारतवासी नर्शी है, यह
आरतवप का प्रतिनिधि है |
গুম बन्द्रगाद् में मारतवपं से प्रावः याघ्री श्राया रते ह, सन्तु
ऐसा विद्वान, ऐसा विशाल-हृदय, ऐसा उदार और निःस्स्वार्थ मादापक्र
व्यक्ति शायद ही कमी यहाँ श्राया}
जापान और अमरीका जाते से पहले भारतवर्ष में दो बार
स्वामी शिव्रगणाचाये ने शान्ति-शाश्रम, भधुरा में छोटे रूप
मे सचे-धमे-सम्मेलन बुलाये थे रार दोनों बार स्वामी राम त्यास-
गदी पर् श्रासीन किये गये थे । उस समय लोगों पर् उनका सा
प्रभाव पड़ा धा-यद् लादौर् के (फ्री थिन््कर' पत्र न इस प्रफार
ज्यक्त किया है--
६ ৩০৯৭ किन्तु सबके धिय, विचारशील श्र गधीर, समय समय
पर हँसमुख और कठोर, सर्वधा विभिद्द विचारधारा ग्खने चाले सघोता-
समाज को लगातार घंटों--यहाँ तक कि सायंकाल ऊे पेपरे में भी ज्ञाद
के समान मंत्रमुग्वय रखने वाले वहाँ एक ही व्यक्ति मे--स्वामी राम ये
'एक शान्त, नत्र; भरी जवानी में भोले-माले नब्युबक मे, লিলি
प्राचीन और श्र्वादीन दशन-शार्रों एवं वर्तमान दिशानों छा অন তান
संचय किया था। वे वास्तव में उस नत् फे बने हुए मे लिसओे सी
सत्यनिष्ठाशी ल व्यक्ति बनते हैं । नम्त शोर সলিল, না द्मे र्लं
चोलचाल कौर व्यवद्वार में निर्दोष होने पर भी उनके रेशमी उ
কী হজ सही कठोर संकत्प-पक्तिथी ] यएीदाग्यं पामि यूयं ष
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