राम बादशाह और रामभक्तों के चरण कमलों में | Ram Badshah Or Ram Bhakto Ke Charan Kamlo Main

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Book Image : राम बादशाह और रामभक्तों के चरण कमलों में  - Ram Badshah Or Ram Bhakto Ke Charan Kamlo Main

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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साधु के बेप में २ “एक हिन्द देवदूतः शपे के अन्तर्मत पोर्ट्लेएड के एक समाचार- 'पन्न ने लिखा था -- “छोटा श्रौर क्षीण शरीर, काली तेजपूर्ण उतर आँखें, क्रोल्ाइव वर्ण, एक काला सूट शरीर दर समय तिर षर ए दार नोत्त पून, चस यही स्वामी राम की रूप-रेखा है। भारतव्फ छा यही प्रादमी श्राजकल पोग्ले्ड में श्राया हुश्ला है । यह एक भारतवासी नर्शी है, यह आरतवप का प्रतिनिधि है | গুম बन्द्रगाद्‌ में मारतवपं से प्रावः याघ्री श्राया रते ह, सन्तु ऐसा विद्वान, ऐसा विशाल-हृदय, ऐसा उदार और निःस्स्वार्थ मादापक्र व्यक्ति शायद ही कमी यहाँ श्राया} जापान और अमरीका जाते से पहले भारतवर्ष में दो बार स्वामी शिव्रगणाचाये ने शान्ति-शाश्रम, भधुरा में छोटे रूप मे सचे-धमे-सम्मेलन बुलाये थे रार दोनों बार स्वामी राम त्यास- गदी पर्‌ श्रासीन किये गये थे । उस समय लोगों पर्‌ उनका सा प्रभाव पड़ा धा-यद्‌ लादौर्‌ के (फ्री थिन्‍्कर' पत्र न इस प्रफार ज्यक्त किया है-- ६ ৩০৯৭ किन्तु सबके धिय, विचारशील श्र गधीर, समय समय पर हँसमुख और कठोर, सर्वधा विभिद्द विचारधारा ग्खने चाले सघोता- समाज को लगातार घंटों--यहाँ तक कि सायंकाल ऊे पेपरे में भी ज्ञाद के समान मंत्रमुग्वय रखने वाले वहाँ एक ही व्यक्ति मे--स्वामी राम ये 'एक शान्त, नत्र; भरी जवानी में भोले-माले नब्युबक मे, লিলি प्राचीन और श्र्वादीन दशन-शार्रों एवं वर्तमान दिशानों छा অন তান संचय किया था। वे वास्तव में उस नत् फे बने हुए मे लिसओे सी सत्यनिष्ठाशी ल व्यक्ति बनते हैं । नम्त शोर সলিল, না द्मे र्लं चोलचाल कौर व्यवद्वार में निर्दोष होने पर भी उनके रेशमी उ কী হজ सही कठोर संकत्प-पक्तिथी ] यएीदाग्यं पामि यूयं ष 4 ~




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