दूध ही अमृत है | Dodh Hi Amrit Hai

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम अध्याव ] ‰ [8 (> ०५५ १७०७ ०५. ^+ ^~ [1 निश्चित मात्रा में अलग से मिला कर एक कृत्रिम भोजन तैयार किया और उसे चूहे, कबूतर आदि कुछ जानवरों को खिला कर देखा | शीम्र ही ये जानवर बीमार हो गए. और मरने लगे। जब-जत्र उन्हें स्वाभाविक भोजन दे दिया जाता था वे स्वस्थ हो जाते थे, किन्तु कृत्रिम भोजन पर रखने से वे सदैव मरने लगते थे। अतणव सिद्ध हुआ कि ` स्वाभाविक भोजन में उपरोक्त चारों पदार्थों के अतिरिक्त कुछ और भी ऐसी वस्ठ॒ अथवा वु मौजूद हैँ जो जीवधारियों के शरीर और स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं| लंदन के डाक्टर कैसिमर फक्‌ (1). 08910£ 70170) ने इस वसत्‌, की उपस्थिति गेहूँ आदि कई अनाजों के चोकर मे तथा साग माजी मे प्रयोग द्वारा सिद्ध की ओर उसका नाम पहले पहल वाइटेमिन ( शांधषएं॥ ) रकक्‍्खा | इसी के वाद थोरोप का युद्ध आरम्म हो गया | पश्चात्‌ डाक्टर ई० बी० मझोलम (7 2. ড. 110001100 ) के प्रयोगों से मालूम हुआ कि जानवरों की चर्बी ( 1070 ) और वानस्पतिक तैलों की अपेक्षा मक्वन आर काड लिवर आयल से शरीर की वृद्धि अविक शीघ्र होती है। इसका नाम मकोलस महाशय ने वाउटेमिन ए (17৮30101019 4 ०० ५1६07 & ) रखा | यह शक्ति अनाजो के बाइटेमिन से भिन्न थी, कारण कि अनाज वाले वाइटेमिन के न मिलने से शरीर में एक विशेष प्रकार का रोग हो जाता है, जिसे “वेरी-वेरी' (80-४8 ०४१५) के नाम से पुकारते हैँ | किन्तु वाइटेमिन ए? की अनुपस्यिति में शरीर की बाढ रुक जातो है ओर आखों का रोग ( ह07०फगामांस ) हो जाता है। अतएव अनाज वाले वाइटेमिन को वाइटेमिन वी के नाम से पुकारने लगे । इस प्रकार वाइटेमिन का नाम ए, बी, आदि अग्रेनो अक्षरों के नाम पर रखने की प्रथा पहले-पहल बीजगणित से ली गयी थी।




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