दूध ही अमृत है | Dodh Hi Amrit Hai
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
230
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम अध्याव ] ‰
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निश्चित मात्रा में अलग से मिला कर एक कृत्रिम भोजन तैयार किया
और उसे चूहे, कबूतर आदि कुछ जानवरों को खिला कर देखा |
शीम्र ही ये जानवर बीमार हो गए. और मरने लगे। जब-जत्र उन्हें
स्वाभाविक भोजन दे दिया जाता था वे स्वस्थ हो जाते थे, किन्तु कृत्रिम
भोजन पर रखने से वे सदैव मरने लगते थे। अतणव सिद्ध हुआ कि
` स्वाभाविक भोजन में उपरोक्त चारों पदार्थों के अतिरिक्त कुछ और भी
ऐसी वस्ठ॒ अथवा वु मौजूद हैँ जो जीवधारियों के शरीर और
स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक हैं| लंदन के डाक्टर कैसिमर फक्
(1). 08910£ 70170) ने इस वसत्, की उपस्थिति गेहूँ आदि कई
अनाजों के चोकर मे तथा साग माजी मे प्रयोग द्वारा सिद्ध की ओर उसका
नाम पहले पहल वाइटेमिन ( शांधषएं॥ ) रकक््खा | इसी के वाद
थोरोप का युद्ध आरम्म हो गया | पश्चात् डाक्टर ई० बी० मझोलम
(7 2. ড. 110001100 ) के प्रयोगों से मालूम हुआ कि
जानवरों की चर्बी ( 1070 ) और वानस्पतिक तैलों की अपेक्षा मक्वन
आर काड लिवर आयल से शरीर की वृद्धि अविक शीघ्र होती है।
इसका नाम मकोलस महाशय ने वाउटेमिन ए (17৮30101019
4 ०० ५1६07 & ) रखा | यह शक्ति अनाजो के बाइटेमिन से
भिन्न थी, कारण कि अनाज वाले वाइटेमिन के न मिलने से शरीर में
एक विशेष प्रकार का रोग हो जाता है, जिसे “वेरी-वेरी' (80-४8 ०४१५)
के नाम से पुकारते हैँ | किन्तु वाइटेमिन ए? की अनुपस्यिति में शरीर
की बाढ रुक जातो है ओर आखों का रोग ( ह07०फगामांस )
हो जाता है। अतएव अनाज वाले वाइटेमिन को वाइटेमिन वी
के नाम से पुकारने लगे ।
इस प्रकार वाइटेमिन का नाम ए, बी, आदि अग्रेनो अक्षरों के
नाम पर रखने की प्रथा पहले-पहल बीजगणित से ली गयी थी।
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