भारतीय जनतंत्र की जय | Bharatiya Jantantra Ki Jay

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Bharatiya Jantantra Ki Jay  by प्रो. कपिल - Pro. Kapil

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सुदूर देहातों में फेली रहेगी। नगरों और देहातों के लाखों छोटी पंजीवाले लोग पंजीवाद के लिए उचर प्रदेश का काम कर रहे हैं। ये छोटे-मोदे पंजीवादी न तो श्रम संबंधी किसी प्रकोर का अनुशासन ही मानेंगे और न शुद्ध नागरिकता का परिचय ही दे सकेंगे । यदि राज्य की ओर से नाप-जोख किंवा नियंत्रण आदि की व्यवस्था भी द्ोगी तो ये सारी चीजों को शंकित भाव से देखेंगे । हमें इनकी ओर सतके होऋर देखते चलना होगा ओर उन सारी विरोधी शक्तियों का दमन करना होगा जिनके कारण देश के रोगमुक्त शरीर में नवीन रक्त का संचार रुका हुआ है 1 अतएव संपत्ति एवं पंजी का व्यवस्थित विभक्तीकरण ही आर्थिक संकट पर विजय पाने का एकमात्र उपाय हे । इतिहास इस बात का साक्षी दे कि राजनीतिक क्रान्ति ही सामाजिक क्रान्ति की जनती हुआ करती है किन्तु सामाजिक क्रान्ति के लिए हमे ईमानदार शौर निष्कलंक होना होगा, विकट परिस्थितियों में भी कातरता की छाया से दूर रहना होगा । राजनीत्तिक कमाऊ-खाऊ रोगों की तरह नीचे गिर कर हम समाज में क्रान्ति कदाचित नहीं ला सकते । सामाजिक लुकाठियों को साथ लेकर क्रान्ति का ््रावाहन नहीं क्या जा सक्ता 1 इस २६ जनवरी के पुनीत श्रवसर को घदेवाली पीदी उसी गौरव के साथ स्मरण करेगी जिस गौरव एवं गये से १४ जुलाई को फ्रांस में, ४ जुलाई को अमेरिकामे तथा २० ~ ~~~ ७ ~~




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