मेरे कुछ मौलिक विचार | Mere Kuch Molik Vichar
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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रामचरिन के तीन गायक ३
है | ये दोनों भाषाएं 'हिन्दी-संघ! की प्रमुख भाषाएं है । परन्तु कहा यही
जाता है कि “रामचरित-मानस' अवधी भाषा का काब्य |
ये तीन रामचरित के प्रमुख गायक है इनका तथा इनकी काव्य-
कुतियों का विधद विवेचन इस छोटे-स लेख में क्या होगा ! सल्लेप में आगे
परिचय दिया जायगा ।
१. वाल्मीक ओर उनका 'पोलस्त्यवध कार्य
'वाल्मीकीय रामायण' के प्रमुख टीकाकार श्वीमान् राम महादय ने
लिखा है कि वल्मीक नाम के कोई ऋषि थे । उनके पत्र बास्मीकि । यो
वाल्मीकि नाम नहीं, नाम का विशेषण टहरता है, जैसे হাহহনি? ।
परन्तु यह विद्यपण ही नाम के रूप में चल দলা, অক লাম লাম भूल ही
गये ! बादशाह अकबर का नाम कितने लाग जानते है ? अकबर तो
उनके महत्व के लिए लगाया गया दह्द # । नाम था-'जलालु ददीन,' जो
प्राय: लुप्त ही हो गया । हिन्दी के महछाकवि भूषण का सलाम थी लृ्त है।
'कवि-भूषण की पदवी उन्हीं दी गई थी । एिर 'कविश्यण लोग कहने
लग । जम 'भूएण नाम, और कवि उसका विशेषण, সান “भषण ही
नाम प्रसिद्ध हो गया । वस, कुछ यही स्थिति वान्मीहा मनि को है ।
सरस्वती-उपासक मुनियों में कवल वाल्मीकि देश ही नाम अमर है,
হান सव लुप्त हो गये। भरतम॒नि तो बहत बाद व है । इसी तरह
अमुर-कबियों में “उद्चना' का नाम लिया जाता /-- कवीनामशना: कविः'
“उछना -शुत्र: । शुत्ष (असूरों के गुरु, नेता तथा महाकबि) का नाम
'उच्चना था। वे वीर-भाव (वीये वीरता) के पुज थ, अपनी मतसंजीवनी
काव्य-शकव्ति के कारण । इसलिए उन्हें शुक्र कबि कहा गया। कालान्तर
में शुक्र कवि ही प्रसिद्ध हो गये और उनका नाम (उशच्नना) भी कृप्ण-
जय वीरता-प्रेरकों की ही जानकारी तक रह गया । नाम भर वाल्मीकि
की कृति का शेष है, पर घझुत्र कवि की क॒ति का नाम भी लुप्त हो गया ।
एक दूसरे वाल्मीकि भक्षत हए हैं दवापर में, जिन्हें युधिप्टिर के
राजम्य-यत्न म भगवान् श्रीकृष्ण ने उजागर किया, जौर सर्वोपरि महत्व
दिया । ये भक्त वाल्मीकि सफाई का काम करनेवाले हरिजिन (भगी)
११११ = 124१११११११११५.
५
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