काव्य बिंब और कामायनी की बिंब योजना | Kavya Bimb Aur Kamayani Ki Bimb Yojana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
372
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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काव्य-बिब विषयक पाठद्चात्य चितन
पाश्चात्य समीक्षाशास्त्र एव सौंदर्यशास्त्र मे बिव के माध्यम से सिद्धात और प्रयोग
के स्तर पर मनोवैज्ञानिक, रचना-प्रक्रिया, प्रभाव एवं सप्रेषण के द्वारा, स्रष्टा युग और परिवेश
को समग्रता से व्याख्यायित करने का स्तुत्य प्रयास हुश्रा है। डाक्टर नगेन्द्र के शब्दों मे---
“परदिचम की भाषाओं के श्रालोचनाशास्त्र मे काव्यर्बव का श्रत्यत सूक्ष्म, विस्तृत
एव वैविध्यपूर्ण विवेचन हुआ है । केवल श्रग्नेजी मे ही श्रनेक ग्रथ उपलब्ध हैं, जिनमे काव्य-
विवके श्रतरग शौर वहिरग रूपो के सूक्ष्म और सर्वाग विवेचन का प्रयत्त किया गया है।
परतु दुर्भाग्य से बिब के स्वरूप-विश्लेषण मे इतने विविध दृष्टिकोण और प्रविधि-भेद
उलभ गये है, उत पर श्रलकारशास्तर कै श्रतिरिक्त मनोविज्ञान, नृतत्वशास्त्र, पुराण विद्या,
समाजविज्ञान आदि इतने श्रधिक अनुशासनो' का आक्रमण हुआ है भौर उसका स्वरूप इतना
'झस्थिर, जटिल, व्यापक एवं श्रमृ्ते बन गया है कि वबिब का स्पष्ट विब---इमेज की सही
इमेज--जिन्ञासु के मन मे स्पष्ट नही हो पाता ।” साय ही डा० नग्रेन्ग को ऐसा भी लगा है
कि पश्चिम का आलोचक बिंब के महत्त्व से इतना आक्रात है कि उसकी संपूर्ण काव्य-चेतना
ही बिब से परिव्याप्त हो गयी है श्रौर वह व्यावर्तेक तत्त्वो को पृथक कर ऐसी रूपरेखा
निर्धारित करने में अपने-भ्रापको असमर्थ पाती है, जो बिब को श्रन्य समानातर घारणाओं से
पृथक् कर सके ।
बिब-संबंधी श्रथंवाद
पाश्चात्य समीक्षाशास्त्र मे काव्यर्गवब का विशेद विवेचन हुआ है। अनेक নাহ নিল
के सबधमे एेसे उद्गार प्रकट हुए हँ जिनसे विव का लक्षण या स्वरूप-नर्धारण तो नहीं
होता, कितु নিন विषयक भ्रथेवाद श्रवश्य प्रकट होता है ।
ब्लेक ने इसे ही विश्वास योग्य मानते हुए लिखा है--“प्रत्येक वस्तु जिस १९ विश्वास
करना सभव हो--सत्य का विब है ।”*
ड्राइडन ने बिब को कविता का प्राणतत्त्व माना है--“बिब विधान कविता की
उत्कृष्टवा ही नही; उसका प्राणतत्त्व है ।”3
सुविख्यात कवि एवं समीक्षक एज़रा पाउण्ड ने वैदग्ध्यपूर्ण ढंग से बिब की गरिमा»
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