अँजुरी भर आखर | Ajunri Bhar Aakhar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
882 KB
कुल पष्ठ :
37
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)| जुग के घुकार !
मिटल गुलामी के गहन अन्हरिया
उगल अजादी के गह-गह अंजोरियि
असन सुधर सुअवस्र জলি खोवे
आपने भाग संवार रे किसनवों,
जुगवा के इहे बा पुकार रे किसनवाँ।
পর নং মর
इहे ह्वे गंगा-जमुना, इहे ह बधरिया
खेती परधान देस, खेतिए पगरिया
पुर्खन के नोव पर बहा ना लग पावे
आज मिलिजुलि के बिचार रे किसनवो, |
जुगवा के इहे बा 3 रे किसनवाँ।
गैन चै
सब सुख - संपति लोटे भारत के पईयाँ
एही से कहात रहे सोना के चिरं
दुनिया के ज्ञान-बोध इहे से मिलल हउवे
कहे इतिहास ललकार रे किसनरवोः
जुगवा के इहे बा पुकार रे किसन्वँ।
नमॐ
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