हिन्दुस्तानी (हिन्दुस्तानी अकादमी की तिमाही पत्रिका ) | Hindustani (Hindustani Academy Ki Timahi Patrika)

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Hindustani (Hindustani Academy Ki Timahi Patrika) by रामचंद्र टंडन - Ramchandra Tandan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजा बीरबर [ ११ स्वार कुबीर कुकच्छन पोरियो, आकरसोे बानियो चाकर खोरो 8 वेश प्रसिद्ध अनाथ सभासद, दर करार्चैेत काटनो घोरो ¦ मक्ष भने सुन शाश अकब्बर, वरह धि समुद्र में बोरो ॥१॥ पत॒ कपूत कुलच्छनि नारि, स्शदाक परो ख्जावन सारो । वश्च ङडद्धि पुरोहित ভর, खाकर चोर अतीत छुतारो ॥ सहेव सूम भराक तुर्दग, किसान कठोर दिवान न कारो । ब्रह्म भने सुनु शाह अकब्बर, बारह बोधि समुद्रम डरो ध्रा সুভ मरै तुरी बद्ध तेज नमे दाता धन दैतौ । नमै अंब यहु फल्‍यो नमे जरूघर बरसेतो। नसे छुकषि जन झुछ नमे कुवती नारी ४ नमे सिंह गय इनत, नें गज बेल सम्हारी ॥ हैदन इसि कसियो नमे , वचन अ्ह्य सच्चा बवे। पुनि सूखा काछ अजान नर , भाज पड़े पर नहिं नवे ॥श॥ 'स और नीति के छुंदीं के अतिरिक्त कुछ ऋंगार के छंदों को भी ১১০), एक समे नवछा तिय से निशि, कणि करी, अव श्याम खिघारे




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