लय १ | Laya-1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Laya-1 by सत्यदेव रजहंस - Satyadev Rajhans

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about सत्यदेव रजहंस - Satyadev Rajhans

Add Infomation AboutSatyadev Rajhans

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
काशीनाथ पाण्डेय : छह कविताएँ ও. গচ্চাধ্ঠ' दिवस ओ, मेरे टुटे अकारथ दिवस | ~~मुञ् पर ट्टी, मुझे फाड़ खाओ..., रत की अंधियालो-नींद मै अभिर उरौने-सा मगर, मत धुमो । 3. श्रा6प्रक छुपा ही गया । आखिर अपने को, बचा ही गया | डायरी-कविता-कहानी-- परदा-दरपरदा, आखिर अपने को, छुपा हो गया ! खुले तो, मले ही, खुल गये, 'रा5ज़ !' अपने को मैं, मगर, ---वचा ही गया । धुप ही गया | ४. ठर, लो गर देखता) हू किप्ती याद की मेंहदी का रंग दिल की हथेलियों से मिटने लगा है | द्स




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now