आर्थिक विकास के सिद्धांत एवं भारत में आर्थिक नियोजन | Aarthik Vikas Ke Siddhant Avam Bharat Me Aarthik Niyojan
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
569
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)2 आशिक विकास के सिद्धान्त
करने के लिए बाध्य. किया कि यदि वे अल्यनिकसित देशों को आकाक्षादं की पूर्ति
की दिशा मरे सहयोगी नहीं हुए तो उनके अत्तर्राष्ट्रीय प्रभाव-क्षेत्र को गहन और
व्यापक आघात पहुँचेगा । विश्व को भहाशंक्तियाँ झाथिक-राजनोतिक प्रमांव-दोत्र के
विस्तार मे एक दूसरे से पिछड़ जाते के भय से झ्ल्पविकप्तित देशों को ग्राथिक
सहयोग देने कौ दिशा मे इस तरह प्रतियोगी हो उठी ॥
इसमे सल्देह नहीं कि अल्पविक्तित देशों मे व्याप्त गरीबी को दूर करने मे
লিনা বাজী কী रति कुं হব লক্ষ मानवतावादी उद्देश्यों से भी प्रेरित है, लेकिन
मूलं षप से और प्रधानतया प्रेरणा-स्रोत प्रभावदोत्र के विस्तार कौ प्रतिस्पर्द्धा ही है।
प्रो० एल डब्लू शैनन ते वास्तविकता का सही सुल्यौकत क्षिया है कि “भविष्य मे
बहुत वर्षों तक अल्पविकत्तित देशों का विकास अप्रेरिका और झूस के बीच गहन
प्रतियोगिता का क्षेत्र रहेगा । विश्व की समस्याद्रो में प्रपती महत्त्वपूर्ण स्थिति के
कारण रसे श्रद्ध विकसित क्षेत्र विशेष रुचि का विषय रहेगे जो या तो ऐसे सुविशाल
प्राहृतिक साधवों से सम्पन्न हो जिनकी आवश्यकता विश्व-शक्तियों को हो अथवा
जौ सैनिक हृष्ठि से सामरिक महत्त्व की स्थिति रखते हो 7
आशिक विकास का प्र्थ एवं परिभाषा
(ष्ण णवे फएरलीपि्तमा ण॑ १९ण०णांए 61091)
आथिक विकास से अभिप्राय विस्तार की उस दर से हैजोभ्रद्ध~विकतित
देशों को जीवन-निर्धाह-स्तर (9090991७708 1९४७) से ऊँचा उठाकर अल्पकाल में
ही उच्च जीवनस्तर प्राप्त कराए। इसके विपरीत पहले से ही विकप्तित्त देशो के
लिए. आधिक विकास का आशय वर्तमान बृद्धि की दर को बताएं रखता या उसमे
बुद्धि करना है । आशिक विकास का प्र्थ किसी देश की अर्थ-व्यवस्था के एक नहीं
वरन् समी त्रो नौ उत्पादकता मे वृद्धि करना प्रौर देश की निर्घनत्ता को दुर करके
जनता के जीवम स्तर को ऊँचा उठादा है। ग्राथिक विकास द्वारा देश के प्राहतिक
और झन्य साधतो का समुचित उपयोग करके अर्थ॑-व्यवस्था को उन्नत स्तर पर ले
जाया जाता हैं। ग्राथिक विकास के विभिन्न पक्षों पर यद्यपि आज भौ काफी
असहमति है, तथापि इसको हम एक ऐसी प्रक्रिया (210०८५६४) कह सकते हैं जिसके
द्वारा किसी भी देश के साथनों का अधिकराविक कुशलता के साथ उपयोग किया
जाए 1 झ्राथिक विकास कौ कोई निश्चित और सर्वमान्य परिभाषा देना बडा बठिन
है । विभिन्न लिखतो नै इसकी परिभाषा भिन्न भिन्न विकास के माप के आधारो पर
की है।
(क) विद्वानों के एक पक्ष ने कुल देश की झ्राय मे सुबार को झ्लाथिक विकास
বন্যা ই) সী कुजवेत्स, पाल एल्वर्ट मेयर एवं वाल्डबिन, एऐ जे यगसन आदि इस
विधारधारा के प्रतिनिधि हैं।
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