नयी तालीम [भाग - १७] | Nai Talim [Bhag - 17]

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Nai Talim [Bhag  - 17] by मोहनदास करमचंद गांधी - Mohandas Karamchand Gandhi ( Mahatma Gandhi )

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के विकास को संयोग पर छोड देना एक भारी मूल है। हिल्द्रीथ का बहना है कि बालक को हस्तता का पूर्ण झौर सही प्रशिक्षण मिलना चाहिए, क्योकि यहू कार्म कौशल हो शैक्षिक शौर व्यावसायिक सफलता को प्रमावित बरहा है। इसी अकार बीते का विचार है दि मानव-शिशु में वायें या दायें हाथ की प्रधानता जन्म से नहीं होती । अत हस्तता के चुनाव में बारूक को स्वतंत्र छोड देना मूल होगो भौर बालक के प्रति भनन्‍्याय होगा, क्योकि स्वनन्न छोड देने से सम्मव है छि वह्‌ गलत हाथ का चुताव कर ले या फिर दोनों ही हाथ समान पे प्रधानत को प्राप्त कर ले, जब कि यह भी ठीक मही । वयोकि कोई भी बारूक दोनो हाथों दर समाद रूप से नियत्रण प्राप्त नही कर सकता है।॥ हिल्डुघ ने इस धात पर जोर दिया है कि केदऊ कुछ प्रतिभावान चालक ही दोनो हाथो से समात कुशलता छे काम बरने में सफल हो सकते हैं | बालक में किस हाथ फीो प्रधानता होगी, इसका निर्णय जल्दी ही हो जाना चाहिए। यदि लम्बे काल तक बालक में हस्तता का निश्चय नहीं होता है भौर वह भपने दोनो हाथो का ( कभी दाय का कभी बायें का ) प्रयोग समान रूप से करता है तो इससे वच्चे के सामने कई वार भनेक समस्याएं पेदा हो जाती हैं। कार्य करते समय एक उलझन, भनिश्चितता भोर प्सुरक्षा की भावना उसे पैरे रहेगी ! सम्भव है वह कई बार भसमजस में,पड जाये भ्रौर फारये को ठीक प्रकार से पूर्ण कौशछ के साथ न कर सके । इस सबका प्रमाव उसके व्यक्तित्व पर पडता है। हिंल्डु थ के प्रनुसार उसमें व्यक्तित्व सम्बन्धी भ्रनेक दोष भोर समस्याएं जन्म ले सकती हैं, ज॑से--जिद्दी होना, स्तायविक कमजोरी, सकारात्मक भ्वृत्ति, लिखने-पढने में दोषपहीनता कौ मावना श्रादि। इस सबसे यह स्पष्ट है कि वालक में हस्तता का निर्धारण झजल्दों हो हो जाना चाहिए, ताकि उसमे स्थिरता, सुरक्षा, हृंढता भौर निश्चितता की भावना का जत्म हो भ्रौर व्यक्तित्व का समुचित विकास हो सके । इतना ही नही, बल्कि इसमें बाछक एक हाथ का प्रयोग करने में प्रवीष्र हो जायेगा तयां भपने दूसरे हाथ को एक सहायक हाथ के रूप में प्रशिद्षित कर सकेगा । फिर दोनो हाथ एक टीम के रूप में बहुत ही कौशल व निपुणता के साथ कार्य करने मे सफ्ल हो सकेंगे । वाम-हस्तता ४ एक दोष भवतक के अध्ययन से यह स्पष्ट रूप से माना जा सकता है कि बालक में बाम-दस्तता का होता उसके विकास में एक बाघा है1 दाहिने हाथ को २४७ ] [ मयो ताक्षीम




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