जैन आगमसाहित्यमां गुजरात | Jain Agamsahityama Gujarat

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Book Image : जैन आगमसाहित्यमां गुजरात  - Jain Agamsahityama Gujarat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1४ शठाम्दांमो बाद भहाकना पौत्र रजा घप्रतिना भाध्रयशर धने धमणो शूर एरेना प्रवे शोमा विषरया छामा অন मान्य, दमिड़, महाराष्ट অন ভতগ হেনা) स्या पूतं सापुभा जता नहांता पयों पण द्यमणोनों सुखषिष्टार पयो पए समयथो नोच গলাটা লাহীপান জামনুহা। गणाबा ण्या चेनो मोभं रष्छस् पण भागमयदिष्यमां पारेवार्‌ मण টি মাঘ (रजिषानी राजगृह), भग (चपा), कण (ताम्िति) करिगि ( कानपुर्‌ ), कापी ( बाराणसी ) कोष््ड( सकत), फुर ( गजयपुर-दस्ठिनापुर ) कृशाविर्वं ( ओौरिष ) रपाजाख ८ कमभ्पिस्य पुर), मग्ट ( भहिष्छतरा ) पराष्ट्‌ ( शरक्ती ), विद्‌ (भिय), बत्स ( कोशाबौ ) राटिस्वि ‹ नचिपूर्‌ ), मम ( मदिष्ठपुर्‌ ) मस्य (केर ) पणा ( भ्छा ) दशाण ( परचिकावती ), चपि (श्रुक्ति मषी ) सिनु-रीयीर ( वीतिमय ), प्रसेन ( मुरा ) मंगि (पाता) बड़ा ( मारसपुरो ) कुणाछा ( आाजस्तो ), छार (ोटिवरप), केष्टमीनो अर्पभाग (*बेतिका ) भा धृत्िर्मा भाम्म अद्दाराष्टावि प्रदेशेनो ऑछ्ेख मथो ए प्यान सचे छे॑ कोकण के म्पां बिन घाघुओो जिचरता ता पनुं शाम पण एमां नबो, गुजरात अने राजस्थानना जे प्रदेशो पाछऊछथी আন এনা प्रयेख केल्रो वम्यां ए पण एमा नबी. पण पूरके पम शषौ साय के संप्रतिना राग्मफाल पक्कैना समयमां मारतमां जैन धर्मना प्रमावनो स्ैसामास्म नद्शो ए रजू करे छे सदो वेभो निन्य मिद्ध मोर पिद्निमो ४ हम्म नौर दि ` লামুলল ছু বত ₹। { मारत के प्रत्यीग लेन জা ए. १.४) द देव भे दरिडली पदि षतो होम सो मादयेत्रण्वी बहार पिर य्‌ रे एतो प्रा्ीय यीकश्यरागो लर्च ममे संगत श्लारे के. भामको जी कामजिते त्विति दैन पालुभोधा कठ भ्राचारपाछणये युदक इटा पन जम जेम भम्ब पदेोढो টিন দলীমী परार जदो हेव तप जिशरहेषयो किस्लार হজ প্দী




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