दिवाली के पटाखे | Deewali Ke Patakhe

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Deewali Ke Patakhe by रेखा जैन - Rekha Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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6: मृन्नी सरला-तरला थप्प राटी थप्प दाल 15 ह 1 पर एक वात है। इस खेल मे ओर वच्चो की जरूरत पडेगी । इसमे क्‍या है ? मै अपने दोस्तो को बुला लूँगा, तू अपनी सहेलियो' को बुला ले । हाँ, यह ठीक है । हाँ भई, सब अपनी-अपनी जगह भाग जाओ | एक-दो-तीन - [खेल शुरू होने से पहले सगीत- स्वर । फिर सगीत-स्वर क्रम कम होता जाता हे और मठा चलाने की हाँडी लेकर अभिनय के साथ दो बच्चियाँ लयबद्ध कदम रहती हुई रगमच पर आती हं । फिर गगरी उतारने का और रई से मठा चलाने का अभिनय करती हें। साथ ही निम्नलिखित गीत गाती हे ।] घुम्मड घुम्मड दही बिलोवे, जाटनी का छोरा रोवे । रोता है तो रोने दे,




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