राजभाषा समस्या व्यावहारिक समाधान | Rajbhasha Samasya Vyavharik Samadhan
श्रेणी : राजनीति / Politics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
253
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूमिका 5
अलग भापा है, जो इसकी अपनी है; कही से ग्रहण की हुई नहीं है। सिंधी
(अर्थात् सिंध), लाहीरी (पंजाबी), कश्मीरी, डूगर की भाषा (जम्मू
की डोगरी). कषुर समुदर (मसूर की कल्नरी), तिलंग (तेलुगु), गुजरात,
मालावार (कारोमंडल तट की तमिल), गौरे (उत्तरी वगसा), वगाल,
अवध (पूर्वी हिंदी), दिल्ली और इसके परिप्रदेश (पश्चिवमी हिंदी), ये
सव हिद की भाषाएं है जो प्राचीन काल से सामान्य जीवन में हर तरह
व्यवहृत हुई हैं।'
विश्वताथ प्रसाद के अनुसार, तुर्कों, मफ़गरानो गौर मुगलो के भारत मरे भाने
से पूर्व ही हिंदी विभिन्न भारतीय भाषाओं की एक आम आदर्श अथवा मानक
भाषा वत चुकी थी ! उनका कथन है :
उन्होंने इस दूर दूर तक फैली हुई एवं सशक्त भाषा को पहचाना और इसे
अपने व्यवहार की भाषा बना लिया'* “इस समय के कुछ मुसलमात
लेखक, उदाहरणतया अमीर खुसरो (सन् 1255) इसे अपनी साहित्यिक
रचनाओं में प्रयोग किए विना न रह सके । खुसरों के नाम से जोड़ी
जाने वाली समस्त कृतियों में यदि अंशमान्र को भी उन्तको रचना मान
लिया जाये, तो यह सिद्ध करना कठिन नही है कि उस समय तक हिंदी
साहित्यिक प्रयोग के लिए पर्याप्त उन््तत हो चुकी थी ।*
इस भाषा का किंचित् विस्तृत पर्यवलोकन करना उचित होगा। इसे हिंदी,
हिंदुस्तानी अथवा उर्दू किसी भी नाम से संवोधित किया जा सकता है,
क्योंकि एक समय था जब इन नामों में कोई भी अंतर नही था और यहीं
मिली जुली भाषा आधुनिक हिंदी की बुनियादी भाषा है। जब तुर्क सुनिश्चित
रूप से भारत में बस गए, तो उन्होने इस आम मानक भाषा (अर्थात् 'खड़ी
बोली”) को परस्पर बातचीत का माध्यम वनाया । 1326 ई. में जब मुहम्मद
तुग़लक ने अपने शाही दफ्तर दक्षिण में स्थानांतरित कर दिए और सभी लोगों
को दक्कन प्रस्थान का आदेश दिया, तो खड़ी बोली भी उनके साथ दक्षिण
तक पहुंच गई | वहां गुजराती, मराठी, तमिल और कल्लड़ जैसी निकटवर्ती
क्षेत्रों की भाषाओं का प्रभाव खड़ी बोली पर पड़ा | इस प्रभाव के कारण इस
आपा ने एक नया रूप घारण किया जिसे दक्खिनी कहा गया।
धर्म ने भी, चाहे परोक्ष रूप से ही सही, इस सर्वसामान्य भाषा के प्रमार
में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया। भारत की सर्वाधिक आबादी হি धर्मानुयायी
है जिसके तीर्थ-स्थल देश के सभौ भागों में स्थित है) प्रत्येक धर्मनिष्ठ हिद
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