सौन्दर्यलहरी | Saundaryalahari

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Saundaryalahari by विनोद अग्रवाल - Vinod Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(মা) में न मिलता तो सम्मवत: मैं कुछ भी न कर पाती | मैं सच्चिदानन्दमयी माँ से प्राथंना करती हैं कि भविष्य में मी थे निरन्तर मुझे प्रकाश स्तम्म कौ तरह श्रालोक देते रहें । श्री श्यामलाल मल्होत्रा, ईस्टर्न बुक लिकर्स के मालिक की भी में कतज्ञ हूं, जिन्होंने इस कार्य के कारन एवं मुद्रा का भार लेकर मुभे चिन्ता- विनिर्मुक्त क्या है । १ माचं १९०८५ डॉ० श्रीमती विनोद श्रग्रवाल सीनियर प्राध्यापिका, विवेकानन्द महिला कालेज दिल्‍ली विश्वविद्यालय, दिल्ली




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