भारत की शासन प्रणाली | Bharat Ki Shasan Pranali

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Bharat Ki Shasan Pranali by दिनेश चन्द्र चतुर्वेदी - Dinesh Chandra Chaturvedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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14 স্ব पिव विवएनस मुरत क पथु कटु प्रस्तुत क्गनम हान बाज व्यय वा जिए किया লালা খা। নল 1883 म चुर्टनाथ वनर्जी न क्तक्तता मं तीन ल्विसीय भारताय राष्टीय লঙ্মদল লী जाहून रिया । सम विभिन प्रान्ता कं ध्रतिनिविया न माग जिया । यह सम्मतन यथ्षप्ट उत्साह का वातावरण म॑ सम्पन्न हुआ | इसस यर स्पष्न्तया प्रक्टहाग्यारकि भारतम राष्टीय चेतना सक्रिय रूप से जागत हां घुती है और उसता उदतत्य त्िटिश शासन की दमनकारी नीतिया का विरोध करना है वयाकि प्रिटिंत शासक हर प्रक्रार से भारतवासिया का दवान व तीचा लिखान वे प्रयत्ता म जग है। ताड पित्न्‌ कं चन লাল पर ताड रिषत (1880-84) कं वादमरायत्व कात म उसक्री नासन नीतिफाम जो उलारना दमी मयी उसके वारण भां भारत दे जनक नित्त वर्म म यहु घाग्णा उत्पन हट कि अयाय तथा अत्याचारपूण শালল ঘা ল্যাতিন विराव उम ममाप्त केरदेनम महायक सिद्ध होता है मतएव यटि भारतीय राष्ट्र भावना का सगठित करके विकसित किया जायगा तो भारत म ब्विनिय सरकार की अयायपूण तथा चापणकारी नीतिया क्‌ ऊपर प्रतिराध নয় सवेगा । जाद रिपन ने जितने थी जनेक्र अयाया कृदमां का समाप्त क्या था। साथ ही उसकी शासनकाब में भारत মন্বশাঘল ন লিপিল ল্নালীন स्वायत्त शासन का तीगणन ना गा । रससे भी भारतीय राप्लीय भावना कां विकसित हून के तिण हूत प्रीत्माहन मिना । रिपिन का चत जान पर त्राह न्फरिनि क़ नामन काक म तिरिचिन सपमे मारतीय राप्नीयना का सगित स्वरूप प्रस्फुटित हो गया । प्रश्न {1 उमन्नासवी शता 3 के उतिम चरण मे भारत म॑ राष्ट्रीय जागरण क॑ क्या कारण थ ? 2 वाह विटन के शासनकान मे व॑ कौनस काम हुए जिडतिे भारतवासियां मे राष्टीय उतना का जम लिया *




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