भारतीय आयकर के सरल सिद्धान्त | Bhartiya Aaykar Ke Saral Siddhant
श्रेणी : अर्थशास्त्र / Economics
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
235
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand){ २ ]
उत्तर :
(अ) अपने कपड़े के नये व्यापार के लिए वह व्यापार के प्रारम्भकी तारीख
से लेकर १२ महीने का कोई भी सुमय अपने गठ-वर्ष के लिए रख
सकता है, यदि उसने हिसाव-किताव्र १९ महीने की अन्रधि तक
के किसी भी समय के लिए वन्द कर लिया हो वो |
यहाँ पर कर-दाता अपने नये ब्यापार के हिस्ाव-क्विाब १२
मासके समयके अन्दर के लिए रखना चाइता है इसलिए उप्तकी वात
माननी होगी । इंस हालत में सन् १६६२-६३ के लिए कोई गत-वर्ष
नहो होगा चौर १-८-६१ से ३१-७-६२ तक की आमदनी सन्
१६६३-६४ में करदेय होगी।
(व) चूंकि कर दाता ने अपने नये व्यापार के बही खाते १२ महिने के
समय तक नही बन्द क्ए ই इसलिए कर दाता की प्रार्थना नहीं
मानी जायगी। कपड़े के नये व्यापार की १८६१ से ३१०३-६२
तक की आमदनी कर-निर्धारण वर्ष १६६२ ६३ में करदेय होगी।
प्रश्न संख्या २
भरी मदनके कई तरह के व्यापार हैं जिनके हिसावी साल निम्नलिखित हैं--
(१) सूती कपड़ा व्यप्पार--दिवालो न्धं ( सवम्वर से अक्टूबर/नबम्बर )
(२) लेन-देन व्यवसाय--वित्तीय वर्ष ( अपग्रेल से मार्च )
(३) तेल की फेक्ट्री--साधारण वर्ष ( जनवरी से दिसम्बर )
(৯) पुस्तक व्यवसाय--जुलाई से जून ।
कर-निर्धारण वर्ष १६६२-६१ के लिए कौन से वही-सखात्तों को सेंट ठीक
रहेगा १
उत्तर :-
करजनिर्धारण वर्ष १६६२-६३ के लिए निम्न व्यापारों के लिए निम्न
वही-खातो का सैद ठीक येम
(१) सती कपड़ा व्यापार--नवम्बर १६६० से नवम्बर १६६१।
(२) लेन-देन व्यव्रसाय--१ अप्रेल १६६१ से ३१ माचं ₹£হৎু।
(३) तेल की फेक्टरी--१ जनवरी १६६१ से ३१ दिखम्वर १६६१}
(४) पुस्तक व्यवमाय--१ नाई १६६० से ३० जुन १६६१1
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