भारतीय राजनीति मे फासिस्ट प्रवृत्तियां | Bhartiy Rajniti Me Phasist Prvrtiya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bhartiy Rajniti Me Phasist Prvrtiya by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
1 | ঁ | 5 नैतिक स्वाधीनता गौर अधिकारों पर विशेष आग्रह रहा. है पर ज्यों ज्यों राजनैतिक अधिकारों क्रा विस्तार होता जायसा जाधिक समानता की माँग * अनिवार्य रूप से सामने आएगी क्षौर यदि जत्र को सच्चे अर्थ में जनतंत्र बनाना है तो उसके लिए इस मांग को पुरा करना भी अनिवायं होगा । मेरा पूरा विश्वास है कि जनतंत्र के इस राज़नतिक ्नाघार की नींव पर ही आधिक जनतंत्र के भवन का निर्माण होना चाहिए, उसके विरोध में नहीं, भौर इसी कारण रूस का साम्यवाद आर्थिक जनतंत्र के अपने समस्त হার কি জা মা मुझे आकर्षित कर पाने में असमर्थ है । में चाहेगा कि हमारे देझ् में राजनैतिक: स्वाधीनता का स्वाभाविकः विकासं ओथिक समानता की स्थापत्ता के रूप में हो । इस प्रकार का कोई भी समाजवाद जनतंत्र के मूल सिद्धान्तों की उपेक्षा करकं अगे नहीं वट्‌ सकता । जनतन्त्र के वे मृल-सिद्धान्त कौन से हूँ जिन्हें इस जबृत्‌त्रीय समाज़वाद को मान कर चलना हूँ ? में मानता हूँ कि जन्नतंतर की पहिली आवश्यकता एक दुसरे के दृष्टिकोण के प्रति आदर और सहानुभूति की भावना का विकास करने की हूँ। में तहीं मानता कि जनतंत्र में बहुमत को, चाहे उसका संगठन किसी भी सिद्धान्त के आघार पर किया गया हो, अह्प्रमत को कुच्नलने का अधिकार भिल जाता हूँ । जत़तंत्र बहुमत का राज्य नहीं है --- किसी सुसंग: ভিতর জল का राज्य तो वह है ही नहीं--वल्कि जनता का अपना, जनता, दाया ` संचालित भौर जनता के लिए संचालित, राज्य है। उसमें हमें छोटे से. छोटे अल्पमत के विरोध और उस विरोध के पीछे के दृष्टिकोण को . समझने का प्रयत्न करना हूँ और, जब तक वह ज़नृता के सामूहिक हित के विरुद्ध ही न हो, उसका आदर करना है। ज़नतंत्र की दूसरी प्रमुख भ[वश्य< कता, कम से कम आन्तरिक प्रहवों में, अहिंसा के पालन की है। अहिंसा केवल वह राजनैतिक हथियार नहीं हैं जिसके सहारे हमने विदेशी हुकूमत का भुका- विला किरा; हिसा तो जीवनं का एक दृष्टिकोण और तत्त्व-दर्शन है जिसके मूल में सहिष्णुता औौर प्रेम. का भाव रहता है.) इस देश में जो भी परिवत्तन बांछतीय माने जाएँ.वे सब अहिसा के सा्ग से लाए. जाएं। उसमें केत्रल मार-




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now