हमारे युग की कहानियाँ | Hamare Yug Ki Kahaniya

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Hamare Yug Ki Kahaniya by सूरजमल गर्ग - Surajmal Garg

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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में भी कई अनुवाद मिलते है। इटेलियन विद्धान्‌ पुः का कहना हैं कि -यूनानी भाषा में भी इस पुस्तक की कुछ कथा अनूदित हो चुकी टं 1 , ५ ` 5 “ सस्कृत-मापा मबेताल भट्ट की-चनाई हुई एक वेताल प्चविंगति नामक पुस्तक भी थी, दस्मे विक्रम सबंधी २५ कथाएँ. थी ५ परतु यह पुस्तक भी उपलब्ध नहीं है। शेक्सपीअर ने हिंदी-सेक्शन नामक एक पुस्तक लिखी है। उसका आरम ही इस पुस्तक से हुआ हैं। मि. सस्सन ने १८३८ मे एक्‌ सस्कृत पुस्तक लिखी थी, उसका आरम्भ भी वेताल पत्रविंगति से ही किया था। गासदी ठास्सी नामक फ्रेंच पडित ने अपनी स्वनाओमें इसी पुस्तक का स्वं प्रथम अनुवाद दिया है सुना है गेंटे ने इस पुस्तक का कोई भाव ग्रहण कर संभवतः 'पोडिया”ः नामक कविता की रचना की हैं। श८२० इं: मे इंकन नामक जमंन पंडित ने भी इसका अनुवाद किया है | ट्स प्रकार सस्क्ृत मे झुक सप्ततिका नामक पुस्तक भी प्रात थी, परूतु मूल रूप मे वह प्रास नहीं है, पर उसके अनु- बाद फ्रेच, यर्की, जर्मन, अंग्रेजी ओर इटेलियन भाषा भे भिलंत है | फारस में उसका अनुवाद, वूतीनामा' नाम से तथां हिन्दी मे 'तोता मेना' का किस्सा के नाम से है| किसी डाप्पर नामक एक जमन पाडित ने एशिया? नामक अपनी रचना मे शुक- सप्तति की कथा का अनुवाद डिया है | इसमे ७० कथाएँ [ स्यारह




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