कैदी भाई | Kaidi Bhai

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Kaidi Bhai by सी. एच. गौड़ - C. H. Gaud

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पदाधिकारी हैं। उसका मंकलाभाई किसान कायकत्ती है । उसका बचपन बड़े ही लाड़ प्यांर में बीता; परन्तु जैसे ही उसेमें कुछ सममते की शक्ति आई, उसकी श्रवृत्तियाँ दूसरी ओर बह निकली । पढ़ने लिखने में वह पूरा बौड़म निकला । घरवालों की सारी आशाओं पर पानी फिर गया । उन्हें आशा थी कि उनका सबसे छोटा और सुन्दर प्यारा बालक प्रतिभाशाली होगा । प्रेमरतन की अतिभा को उसके कुठुम्बी समक न सके । उसमें तो वह महान प्रतिभा थी कि जिसका पाना एक असम्भव- सी बात है। बचपन से ही उससे पराये दु:ख न देखे जाते । उसके लिये अपनी कोई वस्तु ही न थी। गरीब और दःखियों की सहायत। के लिये वह अपना सवस्व देने को तैयार था। बचपन में ही एक अछूत बुढ़िया को गाव के वाहूर ठंड में मरती दंख अपनी नई कम्बल उठाकर उसे बह दे आया। उसके ऐसे - ही कई फृत्यों के कारण घरके लोग उसे पागल অমল ইউ श्रीर उसका घ< मे घुखना चन्द्‌ कर दिया । यदि वे उसकी प्रवृ त्तियों को ठीक ढंग से उन्नत कर और उसे शिक्षित कर अपने से परे न रखते तो उन्दे पता चलता कि कैसी महान श्रात्मा उनके पास है। उन्दोनि तो उसे पागल নাক घर से बाहर निकाल दिया। प्रेमरतन को समय गरीतों की मोंपड़ियों में, निःसहाय रोगियों की खाटों के पास, और दीन दुःखियों की सहायता में बोदता था। आस-पास के गाँवों के दीन दुःखी जानते थे उसके | 1




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