सूत्र शिल्प शिक्षक - भाग 1 | Sutra Shilpa Shikshak - Part 1
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about विपिन बिहारी लाल - Vipin Bihari Lal
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ द )
छी, इसी प्रकार ओर थोदीसी कटिया दलः यह ता तुम.
अच्छी तरह समझगई होगी !
छी०-हां ! इस में कुछ नहीं यह तो बहुतही सहल है ।
०-यह रीति मैंने तुमको इस वक्त इस लिये बतादी है कि यह
बहुत सहल है ओर बुनावट में इसका भी काम पढ़ताई
लेकिन जबतम बुनना अच्छी तरह सीखलो तो किसी बुनावट
के शुरू करने के लिये इस तरह कंडी न डरना क्यांकि
भरारम्म मज्ञवूत न हागा, तुमने देखा कि षस रातिमएक
ही सार काम मे आई, अव एक ओर दूसरी सति
एक सरार ते कयां उर्ने की वताती हू जो बुनना
आरम्भ करने के लिये वहुतही उत्तम हैः-पहली गांठ सहाई `
पर लगाने के बाद सढाई को सीधे हाथ के अंगूठे ओर
पहली उंगछी के बीच में कलम की तरह पकड़ो ओर पिणदे
की ऊन को लटकने दो ओर ऊन के छोर को बाऐँ हाथकी
हथेकी में अगूठेके ऊपर होकर खटकने दो ( चित्र १० )
अब उन के छोर को बाएँ हाथ की पहली उंगली से दबा
. कर सराह को उन समेत बाप हाथ के अगूठे के नीचे होकर
दसरी तरफ छेजाओ ( चित्र ११ से माकूम होजायगा कि
सलाई कहां से कहां ढेजानी चाहिये ) फिर इस सढाई
ओर ऊन को अगूठे के ऊपर होकर उसकी पहली जगह पर
के आओ ( चित्र १२ ) इस तरह बाएं हाथ के अग्रठेपर एक
रखा सा वन जायगा अव इस छटलेको इस अमूठे के नीचे
बाएँ हाथ की पहली उंगली के बीच के जोड़ के ऊपर _
द्बालो ( चित्र १९ अ ) ओर पहली उंगली के पोरुए से
User Reviews
No Reviews | Add Yours...