अनाथ | Anath

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Anath  by राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम भाग १ सन्‌ १६२१ फरवरीका महीना था | श्रामूद (वक्तु) दरियिके क्रिनारेका शक्ष-वनस्पति-हीन समतल बयाबान निर्जौव-सा दिखलाद पड़ता था | सिफ दक्षिणसे अफगानी हवा सनसनाहद करती आ रही थी, जो इस निर्जीव भूमिमें मृत्युकालकी गति-सी जान पड़ती थी। इवाक्रे साथ उड़्तीं धृलने काले वादलकी तरह पू॑को श्राच्छीदित कर रखा था और दिन रातकी तरह जान पड़ता था और वहाँ कोई चीज दिखलाई नहीं पड़ रह्दी थी .. झनाथकी आयु अभी बारह वर्ष भी पूरी नहीं हुई টা ऊसने आंधीके आरम्भ होते ही होज-जैसे, बने भेड़खाने मे बाधकरी भेदकौ लाकर रखा श्रौर स्वयं द्वारपर पहरा देने लगा। उस आंधीमें बाहर खड़े बच्चेकी आँख-मुँहमें बालू भर गयी । वह आँखोंफ़ो हाथसे ` 'मजबूतीके साथ ढाँक मुँहको नीचेकी ओर करके जमीनपर लेंठ गया | षडु खॉँथीए लाट गन 5




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