महाराजा मानसिंह जी री ख्यात | Maharaja Mansingh Ri Khyat

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Maharaja Mansingh Ri Khyat by जीतेंद्र कुमार जैन - Jeetendra Kumar Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सम्पादकीय' . 13 -. -. महाराजा मार्नसिंह अपने राज्य से नाथो का हस्तक्षेप बन्द नहीं करना चाहते थे श्रौर भग्रे जी सरकार कें श्रांदेशो की ग्रवहेलना बराबर 'करते रहते. थे जिसके फलस्वरूप सदरलैण्ड ने जोघपुर'पर चढ़ाई हेतु वहा स्थित जागीरदारो से सलाह वी । तब सभी जागीर दारो ने सहयोग देने का श्राश्वासन दिया, परन्तु शाटी ने साहव'से कहा कि हम झ्रापकी चढाई मे तो साथ देंगे, किन्तु जी भी भ्रसली राजपूत होगा वह महाराजा की निजी सुरक्षा का अवश्य ख्याल रखेगा । इसके बाद ही सतत १८६९६ में भाटी , शक्तिदान का वही देहान्त हो राया 1 सके उपरान्त राजस्थान केंसभी रजवाडो को श्रजमेर से सुचना दी गई वि महाराजा मार्वासिह अ्रहृदनामे के श्रचुसार बरताव नहीं करता है, न चढ़ी -हुई , रकम ,का भुगतान ही करता है, ऐसी स्थिति में हमे उस पर चढ़ाई करेगे श्रौर जनता वो भी श्राइवस्त किया गया कि चढाई के समय उनको . प्रचश्यक रूपसे परेनान नही « किया जायेगा. । अग्रेजो की फोज जब चढ़ कर' ' बनाड नक ऊाई तो मार्चासिट् स्वयं श्रपने वकोल एवं सहित सामने गया --श्रौर सूचना भिजवाई कि उनका वकील सदरेलण्ड से मिलनां चाहता है । ' इसके उपरान्त सदरलेण्ड से महाराज' की भेट हुई । उन्होंने कहा कि उनका इरादा अप्रेजी सरक्रार के विरुद्ध लडाई करने ' का ' नहीं है ग्रौर जसा वे नोग चाहें ब दोवस्त के बारे मे मान्य होगी । इस पर वातावरण दात हो गया श्रोर महाराजा ने किला खाली करके अ्रग्रेजो को सौंप दिया । अग्रेजों की स्वीकृति से केवल १०० कमंचारी महाराजा के पास . रहे । इसके.वाद अग्रेजो श्र मान सिंह के बीच पुन कौलसामे की 'लिखावट हुई _. श्रब , राज्यपकी “व्यवस्था ' मे अग्रजो का बचंस्व बढ गया था अतः जागी रंदारो के पट्टो-के बारे मे जो भी श्रसतोष था /उस: पर गौर किया गया श्रौर ण्ट्रो -मे झ्रावव्यक दुरस्ती की अई.तथा राज्य की आामदनी व ख्र को ' सटह्दी जानकारी भी राज्य के रेकाड से फोलीटिकल ऐजेण्द' से प्राप्त 'की '। सोय ही जिन सिपाही लोगो ,की नौकरी की रकम चढो हुई थी उसका हिसाब भी मागा गया 1' जब करनेल सदरलैण्ड वहा की व्यवस्था से सतुष्ट हुआ तब व श्जमेर 'लौट गया तथ। वहा से जब वह कलकत्ता गया तब उसने महाराजा को किलों वापस सौपने का हुक्म भिजवा दिया, जिसके फलस्वरूप किला ,महाराजा को मिल गया श्रौर श्र ग्रजी हुकूमत का दफ्तर सुरसागर में लगने लग। | 2 ,... यद्यपि भ्रग्रजो के हस्तक्षेप से जागीरदार सतुप्ट हो गये थे गौर राज्य-कायें भी व्यवस्थित ढ ग से चलने लगा था लेकिन नायो का दखल शरद 1. ख्यात पु 169-185 2 ख्यात पृ 186-213




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