पाणी रौ प्रदूषण और निवारण | Pani Rau Pradushan Aur Nivaran
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
84
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दोनूं जीवाणुवां सूँ वीमार मिनखां ने उल्टी आवै, पेट दुस्ते अर दस्तां लागै। माथौ दुख,
हाइ-हाड दुसे अर सरीर में घूजणी रैवै।
7. वैसिलरी डिसेन्टरी (900101219 0৮৬০0)
आ बीमारी शिगला स्पीसीन रे जीवाणुओं सूं हुवै। इण चीमारी रा जीवाणु
जदै मोटौड़ी आंत मेँ पूरौ तो उठे णौ नुकणण करै । इणसु पेट दुखै, दस्तां लागै, ताव
चदे, ताणा आवै, दस्ता में ताजौ सून, पीव अर आंतड़यां रूं रिसीजियौड़े जैड़ी पाणी
हुवे। इण चीमारी रा जीवाणु सरीर मय पूर्यां £ पै वारह यंय सूं तैय सात दिनां मे
कदैई भी आप री असर दिखाय सकै। पायी री साफ राफाई राखियां सूं इण वीमारी री
उतरी कम रेवै। गर्मियां रै मौसम में इण वात री पूरी ध्यान राखणी जरूरी है।
8. एन्टराइरिष् (६1161111)
आ वीमारी मिनखां में स्ट्रेप्तेकोकस फीकलिस सू हुवै। पाणी जदै इण वीमारी रै
जीवाणु यूं संदूषित हुवे, तौ जैड़ी पाणी पीवण यूं जै जीवाणु आंता में पूगि अर इणसू मूत
*ै रास्ते में वीमारी पैदा हुवै। की हदताई दांतां री वीमारियां भी इण जीवाणुवां सु हवै ।
9 कौलेग या ধলা (01701079)
आ एक पाणी सूं फैलण वाढी वीमारी है जिकी कै विद्रियो कौलेगा जीवाणुवां
यूं हुवे। गर्गी रै टैम में पाणी रा स्रोत जदै इण जीवाणुवां रूँ संदूषित हुवे ती अैड़ी पाणी
यवरां अर मोटा नै वीमार करै अर उणी टैम इलाज नी करायो जायै तौ वीमार री मौत
भी हूव सकै। विरखा आवै जद पाणी शा घणकरा सोता सो प्रदूषण हुवे उणमें औ
जीवाणु तो खास है। हर साल इण बीमारी सूं भारत में घणा सहरां अर गांवां में किताई
मिनख इण वीमारी सूं मर जाया कैै। औ जीवाणु मिनखां रै सरीर सूं वरि मठ रे सायै
आवै अर इणपं पाणी रै प्रदूषण ह्वै । पाणी नी मिलगै सुं ज जीवाणु जमीन मायै णी
दम तक जीवता नी रै सकै। चूने रे एक प्रतिशत घोछ में अ एक घंटे मे मर जावै । इण
बीमारी में रोगी ने घणी उवाकां हुवे अर पाणी जैड़ी पतली दस्तां लागै जिकी चावक् ই
पाणी सी हुवे जिणमें मिचढली सी वास आवै। इण कारणे सरीर मे पाणी री कमी हुय
जावै अर बीमार वारै घंटा सू चौइस घंटा रे मांय मर भी सकै। मूत नी आवणै री
सिकायत रैवै, मांसपेसियां में मरोड़ा आवै, कमजोरी आ जायै जिपसूं उने चेतौ नीं रैवै,
वीपी कम रैबै, अर खून नाड़ियां में होछै होठै वेद | जदैई प्राणी रे प्रदूसण री वैम हुवे
तो पाणी रौ उपचार करियां र पै इन पाणी पीवणे र वास्तै काम लेवणो चाहीजै।
जिण जगे आ वीमारी फैलिया करै उठ र मिनखां नै हर साले हैना री वीमारी सू वचणै
स टीका लगवावणा चाहीजै]
10. चेत्स वीमारी (भएला'§ १५७६०७८)
लोगां में आ दीमारी लेप्टोस्पाइरा इक्टीरोहिमोरेजिका सूँ हुवै। इण वीमारी में
त्ताव चढै, यकृत, गुर्दा, फेफड़ा नै दिमाग री झिल्यां माथे असर हुवै। इणमें इनफ्लैन्जा
चीमा सा लखण दीय, पीलिवौ हू जावे नै मूत में एलव्यूमिन आवै।
पाणी रा सोत अर वीमारियां 15
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