माटी हो गई सोना | Mati Ho Gai Sona
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
126
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' - Kanhaiyalal Mishra 'Prabhakar'
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बयाडीसके ज्वारकी उन लहरोंमे
#तब ठीक है, मैने पीठपर गोली नहीं खाई !” उसने कहा और
हसेशाको आंखे मूढ खी | भू
इन शहीठोकी ठेहसे जो गोलियाँ निकली, वे ट्मठम बुलेट! थी--
अन्तर्रड्रीय विधानके अनुसार इन गोलियोका प्रयोग युद्धोम भी वर्जित है,
पर अग्रेजी शासनके लिए. उन विनों न नियम थे, न पाबन्दियों | गोली
मारना, जेल्मे ढूस देना, पीगना, घर फ्रेँकना, गॉव उजाड देना और जाने
क्या-क्या मामूली बात थी |
उन्हीके एक आदमीके शब्दोम-“पुलिस और फौजको गॉवोम खुल-
कर खेलनेके लिए. छोड ठिया गया था | नेशनल वारफरके टीडरकी
हैसियतसे अपने जिलेके गॉबोमे घूमते समय मुझे फौज और पुल्सिके
अत्याचारों, जनताकी सम्पत्तिकी छूट-खसोट, गॉवोकों जलाने, गिरफ्तारीका
भय दिखाकर रुपये ऐठने और कभी-कभी वस्ल्लीके लिए. घोर बन्त्रणाएँ
देनेकी भी अनेक रिपोर्ट मिली है।
पुलिस-द्वारा छूटी गई दूकाने तथा जलये शये गॉवके गाँव मैने
अपनी आँखोसे देखे और में मज्जूर करूँगा कि वे दृश्य मरते समय भी
मेरी आँखोके सामने नाचते रहेगे | जब मे एक सभास सम्मिलित होने
जा रहा था, तो मेरी ट्रेन एक स्टेशन पर च्की। मेने देखा-एक गोरा
एक कुत्तेपर निशाना साथ रहा है। यह निशाना चूक गया, क्योंकि कुत्ता
बहुत दूर था !
मैने सोचा-विहारसे इस गोरेके भाई-बिरादर ज्यादा भाग्यशील है,
क्योकि उनके निशाने उन्हे बहुत ही नजदीक मिल जाते है। आजकल
बिहास्मे आदमी और कुत्तेम बहुत ज्यादा फर्क नदी रट गया है |” जो बात
विहारके सम्बन्धम कही गई है, बह सारे देशके सम्बन्धम भी उतनी ही
स्च थी |
यह नृशसता किस सीमा तक बढी हुई थी, इसका एक उदाहरण
उसी पटनेकी छातीण्र अगारोसे खुदा हुआ है।
User Reviews
No Reviews | Add Yours...