माटी हो गई सोना | Mati Ho Gai Sona

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mati Ho Gai Sona by कन्हैयालाल मिश्र -Kanhaiyalal Mishra

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' - Kanhaiyalal Mishra 'Prabhakar'

Add Infomation AboutKanhaiyalal MishraPrabhakar'

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
बयाडीसके ज्वारकी उन लहरोंमे #तब ठीक है, मैने पीठपर गोली नहीं खाई !” उसने कहा और हसेशाको आंखे मूढ खी | भू इन शहीठोकी ठेहसे जो गोलियाँ निकली, वे ट्मठम बुलेट! थी-- अन्तर्रड्रीय विधानके अनुसार इन गोलियोका प्रयोग युद्धोम भी वर्जित है, पर अग्रेजी शासनके लिए. उन विनों न नियम थे, न पाबन्दियों | गोली मारना, जेल्मे ढूस देना, पीगना, घर फ्रेँकना, गॉव उजाड देना और जाने क्या-क्या मामूली बात थी | उन्हीके एक आदमीके शब्दोम-“पुलिस और फौजको गॉवोम खुल- कर खेलनेके लिए. छोड ठिया गया था | नेशनल वारफरके टीडरकी हैसियतसे अपने जिलेके गॉबोमे घूमते समय मुझे फौज और पुल्सिके अत्याचारों, जनताकी सम्पत्तिकी छूट-खसोट, गॉवोकों जलाने, गिरफ्तारीका भय दिखाकर रुपये ऐठने और कभी-कभी वस्ल्लीके लिए. घोर बन्त्रणाएँ देनेकी भी अनेक रिपोर्ट मिली है। पुलिस-द्वारा छूटी गई दूकाने तथा जलये शये गॉवके गाँव मैने अपनी आँखोसे देखे और में मज्जूर करूँगा कि वे दृश्य मरते समय भी मेरी आँखोके सामने नाचते रहेगे | जब मे एक सभास सम्मिलित होने जा रहा था, तो मेरी ट्रेन एक स्टेशन पर च्की। मेने देखा-एक गोरा एक कुत्तेपर निशाना साथ रहा है। यह निशाना चूक गया, क्योंकि कुत्ता बहुत दूर था ! मैने सोचा-विहारसे इस गोरेके भाई-बिरादर ज्यादा भाग्यशील है, क्योकि उनके निशाने उन्हे बहुत ही नजदीक मिल जाते है। आजकल बिहास्मे आदमी और कुत्तेम बहुत ज्यादा फर्क नदी रट गया है |” जो बात विहारके सम्बन्धम कही गई है, बह सारे देशके सम्बन्धम भी उतनी ही स्च थी | यह नृशसता किस सीमा तक बढी हुई थी, इसका एक उदाहरण उसी पटनेकी छातीण्र अगारोसे खुदा हुआ है।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now