भारतवर्ष की सच्ची देवियाँ | Bharat Varsh Ki Sachi Deviyan

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Bharat Varsh Ki Sachi Deviyan by ललिता प्रसाद शर्मा - Lalita Prasad Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(६) देते धे । जहां निदोष पवित्र आत्साये होनी हैं वहां परतामसी कामनायें स्वयं ही अल्प हो जाती हैं कैलाश एक रमणीक स्थान बनगया और उसमी शोभा अवलोकनीय होगहे न कोहं जीव को कोई कष्ट देताथा सच है अहर की शिक्षा पर चलनेवाले मनष्य अपने चारों ओर शांति और सुख फटा देते पावेती के आने से शिव को जो आनंद हुआ उसका तो कहना हो क्या है। जब दो पविन्न आत्माओं का समबन्ध होता है तो चित्त को कुछ विचित्र ही आनन्द होता है। दोनों कैलाश में सुख पूर्वक अपनी आयु व्यतीत करने टम 1 श्षिव ओर पावती दोनं नम, सुशील, शान्तचित्त और शहद आत्मा थे। दोनों के हृदय में इंश्वर के अनुशंग, प्रेम और बैराग्य की नदी प्रवाहित थी दोनों




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