चतुर्थ पर्व | Chaturth Parv
श्रेणी : साहित्य / Literature

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
147
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( १७ )
“नौकरी के लिये कितनी दख्बौस्तं भेजी गई , परन्तु समी का
उत्तर 'नहीं? के साथ मिला। कहो ? में स्या करूँ ¢
भाई, घबड़ाते क्यो हो ? घबड़ाने से कोई काम नहीं होता ॥
क्यों न घबड़ाऊँ ? तुम्हे तो घर से रुपया आता है। मौज
से जड़ा रहे दो | तुम्हें क्या परवाह है ९?
'मुझे भी उतनो ही परवाह है, जितनी तुम्हें है । परन्तु
तुम्हारी तरह में बहुत बड़ी नौकरी नहीं चाहता । में किसी भी
नौकरी में जा सकता हैँ।!
'भाई, मे भी वही चाहता हूँ, पर कहीं मिले तब तो ।'
“मिलेगी कैसे नहीं ।
(कहाँ मिल रही है ¢
“चलो, में तुम्हें फौज में भर्ती करा देता हँ। हजारों की
संख्या में बिद्याधियों ने फौज मे अपना नाम लिखाया है । जब
रोटी का प्रश्न सामने उपस्थित है तब मान और मयादा का
ध्यान नहीं रहता ।?
जब प्रौज में भर्ती होना ही है तब तुम्हारी सिफारिश
क्या हे ९! |
“कौन कहता है कि तुम मेरी सिफारिश करो ॥
“अच्छा, बतलाओ कि तुम अपने लिए कौन सा काम पसन्द्
कर रहे हो ¢
“मेने अपने लिये निश्चय कर लिया है ॥
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