पृथ्वीराज रासो में कथानक रूढ़ियां | Prathvi Raso Main Kathanak Rudiya

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Prathvi Raso Main Kathanak Rudiya by ब्रजविलास श्रीवास्तव - Brajvilas Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पएथीराय रात्तो ओर ऐतिहापिक काव्य-यरम्परा ५ दीराबन्द भोका मु ० देवीप्रसद तथा मोतीक्षाक्ष मेनारिया प्रसुति पिद्दान्‌ हैं। पे विद्वान एटिहासिकसा के झाघार पर रासों को १६वीं या णदी रताम्दीका लिखा हुआ भप्रामाणिक प्रय मानते हैं। दूसरी भोर भरी मोहमज़ास्ष विप्युक्लाक्ष परया, হাঁ श्यामसुस्द्रास, मिश्रवश्ु आदि मे पेतिहासिरूता के आधार पर ही इसे विश्लकु्त प्रामाणिक सिद्‌ करने का प्रयर्न किपा है | डसके विचार से रासो का दर्तमाम यूहव्‌ रूपास्तर सर्दंथा प्रामाशिक है और उसमें তিল घटमाएँ सवत्‌ वशापक्ञी झादि बिल्तकुछ सही है। हस सबसों और घटनाओं की प्रामारिरता सिस्‌ करने के द्लिप पयक्षया सी के प्रयत्म से पक प्रनस्यु संवस्‌ रौर प्ष्वीरास से सम्बग्भितव पभरनेक पट -परवामो की उपष्षर्थि मी दण्द हं दै । परष्वीराज रासो की परामाख्िक्ता के सम्बभ्य मे वठने वाले पिषाद को थे दो सीमाएँ हैं। ध्याम देने की दास यह है कि दोलों पत्तों के विद्वान, पेषि हासिकता के भाधार पर ही रापो को प्रामाणिक पश्थवा भ्रप्रामाणिक सिद्धू करमा चाहते हैं। इत विद्वार्मों का सम्पूर्ण रासो को पेठिहासिफसा की कसौटी पर कसने का प्रयास पह सिद्धू करता है कि ये रासो को किसी पुक काछ की और प्‌ स्पक्तित की रचमा मानते हैं चाते घह प्रध्पीराड के समकाछ्तीम माने लाने बाप्त घम्द हों अथवा चस्द्‌ के सास पर किसने वासे १६वीं १०वीं शताब्दी के कोई मट्ट | साथ ही इसकी पेसिहासिकता की धाम-बीम यह सी प्रमाणित करसी है कि पे बिद्रान्‌ एसो शो काम्य-मस्प मरही बक्कि छम्योयय इतिहास-प्रन्थ मादते हैं। सम्मव है इनको पह धारणा हो कि 'पेतिहासिक काभ्यः भौ संका से विमूषितत तया ऐतिहासिक चरितनायकों के जोवम से सम्दझ मारतीय काम्यो में काम्पारमक गा से पेतिषासिक र्यो की डडरणी रहती दे भौर इन कार्यों के रचमिता पेतिहासिक अरितों के सीदन से सम्पद्ध वास्तविक धटमाओं को दी भ्पने काप्य का भाघार बनाते हैं। इमकी दृष्टि में तयाकधित पेटिहासिक कास्पों के छ्ेजकों का डपसीस्य कस्पला मरही, हष्य होता ६ पर्थात्‌ उमा बस्तु-चयन श्र युगसदति काम्पाप्नक शरी, एष्पारमक दोषी ह । पष धारया का छक सत्प पर आधारिस है, इस सम्बध में हम शझागे विचार बनेंगे! सब से प्ृष्पीराण रासो की ,विमिश्न भकार की अनेक दृस्तक्तिसित भवि प्राप्त हुईं है दब से रासो-सम्बधी दिवाद्‌ मे पुक लया रूप घारण कर लिया है। भब तक प्राप्त रासो की हस्तक्षिफित प्रतियों का अध्ययन करने पाले विदानो का कहना दै कि ই आर प्रकार को हैं सिम्हें चार स्पास्तर कद सकते 1 ये खार स्पान्तर निम्गयिलिव ई-




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