राजस्थान का इतिहास | Rajasthan Ka Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
429
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)समस्त सम्पत्ति अपने अधिकार में कर ली और वहाँ की चहुमूल्य सामग्री और सम्पत्ति चावीस
लाद
सिंहासन पर के वाद लाहार में अपनी सेना एकत्रित की और
कनकपुर के राजा वीरभानु वबेल के साथ युद्ध किया। उस युद्ध में वारभानु के चालीस हजार
>>
न
पर
नव
था
|
भट्टी की मृत्यु हो जाने पर उसका पुत्र मंगलराव सिंहासन पर वेठा। इसके शासन
काल में गजनी के राजा घुन्थी ने अपनी विशाल सेना लेकर लाहीर पर आक्रमण किया। मंगलरव
युद्ध से ववराकर अपने बड़े पुत्र के साथ नदी के तट पर स्थित जंगल में भाग गया। शालिचाहनपुर
में उसके परिवार के लोगों को शत्रुओं ने जाकर बेर लिया। जव मंगलराव ने यह सुना तो वह
उजस जगल
म जाकर छिप गया था, वहां स भाग क्र वह लक्खा जगल म चला गया। वहाँ पर
किसानों की आवादी थी। इसलिये मंगलराव ने उनको अपनी अधीनता में लेकर वहां पर अपना
राज्य कायम किया। उसके दा लड़के पेदा हुये। एक का नाम था, अभवराव ओर दूसरे का
नाम, शरणराव |
अभय राव ने वहों के समस्त नगरों का जीत कर अपने राज्य का विस्तार किया।
इसके चाद उसके वंशजों की संख्या ऑर वे लोग आभार्वि भट्टी के नाम से प्रसिद्ध हुये।
शरणसव अपने भतीजे से लड़कर कहीं चला गया। भट्टी के बड़े युत्र मंगलयाव ने तुर्की के भव
से पिता की राजधानी शालिवाहनपुर को छोड़ दिया था आर वहाँ से भागकर वह जंगल में
चला गया। उसके छः लड़के थे, जो इस प्रकार हैं- 1. मंडमराव 2. कलरसी 3. मूलराज 4.
शिवराज 5. फूल और 6. केवल!
राजधानी से मंगलराव के भाग जानें पर उसके पुत्री ओर परिवार के लोगों की रका
उसकी प्रजा ने की । तक्षक वंशी सततीदास नाम का वहाँ पर एक भूमिधर रहता था। उसके
पूर्वजों के साथ भट्टी राजाओं ने भयानक अत्याचार किये थे । उसने अपने पृवजों का बदला
लेने के लिए विजयी तुर्कों से जाहिर किया कि के पुत्र और कुटुम्व के लोग इसी
नगर के एक वर में रहते हैं। उसकी इस वात को सुनकर कुछ तुर्क सैनिक उसके साथ गये ।
सतीदास ने तुर्क सैनिकों को लेकर श्रीथर महाजन के यहों मंगलराव के लड़कों को कैद कराया
ओर वे राजकुमार तुर्क सेना के सामने लाये गय। उस सेना के प्रधान ने श्रीधर से कहा :-
**शालिवाहन के प्रत्येक राजकुमार को तुम मरे सामने लेकर आओ, नहीं तो मैं
तुम्हारे परिवार में किसी को जिन्दा न छोडेंगा।
इस वात का सुनते ही श्रीघर अत्यन्त भयभीत हुआ और घवरा कर उसने कहा-
“मेरे यहीं अब राजा का कोई लड़का नहीं है । जो लड़के मेरे यहाँ रहते हैं, वे एक भूमिधर के
वालक हैं। वह भूमिघर इस युद्ध के भय से भाग गया हैं।”' तुर्कों के सेनापति ने उसकी वात का
विश्वास नहीं किया ओर जिन लड़कों के रहने की वात उसने कही, उसने उनको लाने का
आदेश दिया।
जब श्रीधर महाजन ने देखा कि राजकुमारों के प्राणों की रक्षा का अब कोई उपाय
, तो उसने तुर्क सेनायति की आज्ञा का यालन किया । यदुवंशी राजकुमार किसान वालकों
श्र
हि
तप
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