वर्तमान जगत | Vartmaan Jagat

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Vartmaan Jagat by लक्ष्मीचंद्र खुराना - Lakshmichandra Khurana

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) वाले धोचे, भीगुर आदि जन्तुओं का विकास हुआ | फिर इनसे जल ओर स्थल दोनों जगह रहने वाले मेडक, मछली, छिपकली, तथा फिर कई लाखों सालों में सांप, गोह, मगरमच्छ आदि बने} इन से पीछे हाथी, घोड़े, और लंगूर आदि की सृष्टि हुईं। लंगूर से बन्दर, बन्दर से बनमायुस ओर सब से छन्त मेँ मलुष्य की ष्टि हृद! मनुष्य की सृष्टि सब से अन्त में हुईं। आज को अपेक्षा पहले जीवों के शरीर की रचना सरल थी ओर उनके अंग थोड़े थे तथा मस्तिष्क का तो नाम भी न था । पीछे से विकास होते होते जीवों के अंग बनते गए ओर सस्तिष्क भी बढ़ता गया ओर अन्तिम जीव मलुष्य की रचना सब से पेचीदी ओर पूर्ण है उसका दिमाग भी अन्य जीवों की अपेक्षा बहुत अधिक विकसित हो चुका है । ऊपर दिए हुए बिंकास के क्रम को बुद्धि एक दम नहीं मानती । परन्तु यदि हम प्रकृति के ढंग का सूच्रमता से अवलोकन करें तो इस के न मानने का कोई कारण नहीं रह जाता । आइए, ज़रा हम अपनी गाड़ियों की रचना का इतिहास देखें । सब से पहले बिना पहिए की गाड़ी की रचना मनुष्य ने की । अंग्रेजी में एक कहावत है कि आवयश्कता ही आविष्कार की जननी है । पहली गाड़ी तेज्ञ नहीं चल सकती थी ओर उसे खींचने मे बल भी बहुत लगता था। इस लिए गाड़ी में पहिए लगाए गए । उसके बाद पहिए पर स्थ्रिग ओर प्रीज्ञ तथा बेठने के लिए गद्दे ओर छत लग गई । परन्तु यह गाड़ियाँ भी धीमी साबित हुई, इस लिए अपने आप ही रेल गाड़ी, मोटर का विकास हुआ । पानी में चलने के लिए स्टीमर ओर हवा में उड़ने के लिए हवाई जहाज़ तथा पहाड़ों जेसी ऊबड़ खाबड़ जगहों पर चलने के लिये टेंक बने ।




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