इतिहास | Itihas
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8.01 MB
कुल पष्ठ :
180
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सरला से त्रीर न रहा गया तो उसने कहा--तुम बच्चे को बचाना
चादते हो कि नहीं !
सुमेर चुप रहा ।
सरला की उद्दिग्नता ने एक वार फिर उससे जवाव तलब किया --
तुम बच्चे से हाथ धोने दी पर तुले हो क्या ?
सरला की ्रावाज भर्थयी हुई थी । सुमेर इस बार भी चुप रहा । फिर
घीरे से उठा श्रौर जाकर सरला के झ्रॉसू श्रपनी घोती के छोर से पॉछुने
लगा ओर बोला--रानी, तुमसे मेरी कोई वात नहीं छिपी है ।
सरला ने उसके सीने में मु हु घेमाते हुए कह्दा--मैं जानती हूँ.......
लेकिन हमें द्रयने नरेश की जान तो वचानी ही होगी । में उसे इस तरह
मरने नहीं दे सकती |
--धीरे वोलो सरला; नरेश जग रहा है ।
--द्बर और क्या बाकी है । तुम उसकी ग्रखें नहीं देखते £
--उसकी द्रॉर्खो में मौत का डर है ; लेकिन उसकी नव्ज चल
रही है ।
्ह
--द्रमी उसमें जान बाकी है, घबरा मत, अभी वदद जियेगा '
उम्मीद मत दारो ।
-खुम जाश्रो डाक्टर को बुला लाथ्ो, किी तरद बुला लाश्ो,
हाथ जोड़कर, पैर पड़ कर--
--ठुम वात नहीं समभतीं सरला ।
-मैं सब समभाती हूँ !
--तुम कुछ नहीं समकतीं । इस वक्त कोई डाक्टर बिना पैसे लिये
वात नहीं करेगा--
--उसके भी बाल-बच्चे होंगे...
--दहां दोंगे, जरूर दोगे, लेकिन वदद उसके बच्चे होंगे । नरेश उसका
बच्चा नद्दीं दै ।
श्छ
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